Adityapur (Sanjeev Mehta) : एक जून से जेबीवीएनएल की बिजली दर में छह फीसदी की वृद्धि हुई है. इससे आम लोगों की जेब ढीली होगी. इससे बिजली विभाग के राजस्व में भी छह फीसदी की बढ़ोतरी होगी. यानि हर माह जमशेदपुर एरिया बोर्ड से अब तक 52 करोड़ रुपये राजस्व मिल रहा था जिसमें छह फीसदी की वृद्धि होगी. अर्थात करीब करीब 32 लाख रुपये ज्यादा राजस्व में वृद्धि हर माह होगी. लेकिन इस वृद्धि को जमशेदपुर एरिया बोर्ड के जीएम श्रवण कुमार नाकाफी मानते हैं. उन्होंने बताया कि तीन साल बाद छह फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि विद्युत उपकरण के दाम हर वर्ष 15 फीसदी की दर से महंगे हो रहे हैं. हमें भी बिजली खरीद कर आपूर्ति करना पड़ता है. यह वृद्धि ऊंट के मुंह में जीरा के समान है.
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छह माह में एक बार भी बिजली बिल नहीं दिया
पहले से डीवीसी का हम पर कर्ज है. उसे 45 दिनों के अंदर पेमेंट करना पड़ता है अन्यथा हमें 2000 मेगावाट के बजाय 600 मेगावाट की कटौती कर 1400 मेगावाट बिजली देती है, जिसकी वजह से हमें हर दिन छह घंटे लोड शेडिंग का सहारा लेना पड़ता है. उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र के उपभोक्ता फिर भी ठीक हैं जो कम से कम हर दूसरे माह बिजली बिल जमा कर देते हैं भले ही उन्हें लाइन डिस्कनेक्टिंग का भय दिखाना पड़ता है किंतु ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ता तो बिजली बिल ही नहीं देते हैं, और उनका हम लाइन भी नहीं काट पाते हैं. उन्होंने बताया कि कोल्हान के तीनों जिले के करीब 40 हजार ग्रामीण उपभोक्ता लाइन लेने के बाद छह माह में एक बार भी बिजली बिल नहीं दिया है.
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ग्रामीण उपभोक्ता चोरी कर चलाते है बिजली
वहीं करीब एक लाख ऐसे उपभोक्ता हैं जो प्रति माह मात्र 20 यूनिट बिजली का उपभोग कर रहे हैं जो असंभव है. वे अगर एक सीएफएल भी जलाएंगे तो 40 यूनिट बिजली बिल आएगा. वहीं उन्होंने बताया कि करीब 1 लाख 70 हजार ग्रामीण उपभोक्ताओं के लाइन छह माह से कटे हुए हैं, वे लाइन जुड़वा नहीं रहे हैं लेकिन बिजली का उपभोग कर रहे हैं. ऐसे में छह फीसदी की बिजली दर में वृद्धि कोई मायने नहीं रखता है. वे बताते हैं कि ग्रामीण उपभोक्ता यह जानते हुए कि 100 यूनिट बिजली उन्हें सरकार फ्री में दे रही है बावजूद इसके वे चोरी करते हैं जिससे जेबीवीएनएल को न सरकार से इसका पैसा मिलता है और न ही उपभोक्ताओं से. यह बड़ी विडंबना है.
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