- रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसीबाड़ी पहुंचे
Ranchi : राजधानी में मंगलवार को रथ मेला की धूम रही. शहर में उत्सव जैसा माहौल रहा. जगन्नाथपुर में भगवान की रथ यात्रा को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा गया. पूरा मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से भरा रहा. लोग सुबह से ही जुटते रहे. रथ खींचने को लेकर लोग काफी उत्साहित दिखे. रांची में पिछले 333 सालों से रथ यात्रा निकाली जा रही है. जगन्नाथ स्वामी की जयकारों से जगन्नाथपुर मेला परिसर गूंज उठा. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन भी रथ खींचने और पूजा-पाठ के लिए पहुंचे. सीएम हेमंत सोरेन पारंपरिक वस्त्र में मेला परिसर पहुंचे. उन्होंने धोती पहन रखा था. साथ में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, हटिया विधानसभा के विधायक नवीन जायसवाल मौजूद रहे. सभी ने भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना की. शाम 5 बजे मंदिर परिसर से भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसीबाड़ी के लिए रथ पर सवार होकर रवाना हुए.
राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने राज्यवासियों को दी शुभकामना
जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ जगन्नाथपुर परिसर गुंजायमान रहा. रांची समेत पड़ोसी जिले से भी भक्त आस्था की डोर खींचने के लिए पहुंचे. आम व खास सभी रथ की रस्सी को छूने और भगवान जगन्नाथ की एक झलक देखने के लिए आतुर थे. वहीं ऐतिहासिक रथ मेले में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सम्मिलित हुए. इस अवसर पर राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं भाई बलभद्र की विधिवत पूजा-अर्चना कर झारखंड वासियों की सुख, समृद्धि, शांति, खुशहाली तथा प्रगति की प्रार्थना की. मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य वासियों को भक्ति एवं समर्पण का पर्व रथयात्रा की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं. मौके पर सांसद संजय सेठ, विधायक नवीन जायसवाल सहित अन्य गणमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे.
333 वर्षों से रथ यात्रा निकाली जा रही
रथ मेला पूरे नौ दिन तक चलेगा, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. पूरे मंदिर परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह रथ यात्रा निकलती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं. पुरी की तर्ज पर रांची के जगन्नाथपुर मंदिर से भी 333 वर्षों से रथ यात्रा निकाली जा रही है. लोगों की भीड़ को देखते हुए स्वयंसेवी संगठनों के साथ-साथ आरएसएस, एनएसएस से जुड़े स्वयंसेवकों की टोली मेला परिसर में लोगों की मदद के लिए मौजूद हैं. मेला परिसर में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. गाड़ियों का पड़ाव जगन्नाथपुर गोल चक्कर के समीप ही रखा गया है.
रथ मेला का 1 जुलाई को होगा समापन
हिंदू धर्म के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं. रथ यात्रा के दौरान सबसे आगे बलभद्र उनके साथ बहन सुभद्रा और उसके बाद जगन्नाथ होते हैं. मंदिर में पूजा अर्चना के बाद दोपहर 2.30 बजे सभी विग्रहों को रथ पर विराजमान किया गया. पारंपरिक रूप से पूजा अर्चना के बाद शाम 5 बजे रथ को हजारों श्रद्धालु खींचते हुए मौसीबाड़ी तक ले गये. रथ मेला का समापन 1 जुलाई को होगा. मेला परिसर झूला और बच्चों के खिलौनों से पटा हुआ है. पारंपरिक सामानों से सजे मेला परिसर में लोगों की भीड़ चिलचिलाती गर्मी के बावजूद देखी जा रही है, जो नौ दिनों तक चलेगा.
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