Chaibasa (Sukesh Kumar) : कोल्हान भूमि बचाओ समिति की शिकायत पर रविवार को बोरिया के विधायक और अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के अध्यक्ष लोबिन हेंब्रम ने सरकारी अधिकारियों के साथ नेवटिया माइंस एंड इंडस्ट्रीज में जाकर अवैध कब्जे का जायजा लिया. उनके साथ सदर एसडीओ सचिंद्र बड़ाईक, सदर अंचलाधिकारी गोपीनाथ उरांव समेत अन्य कर्मचारी थे. विधायक व अधिकारियों की टीम सुबह दस बजे इंडस्ट्रीज कैंपस में प्रवेश की. साथ में समिति के सारे अध्यक्ष व सदस्य भी थे. टीम ने इंडस्ट्रीज के अंदर घूम- घूम कर अवैध कब्जेवाली जमीन (प्लॉट) को देखा और पीड़ितों से पूरी जानकारी ली. उनके साथ ही एसडीओ व सीओ ने भी स्थल की जांच की. विनोद सावैयां ने अवैध कब्जेवाली जमीन और उसका खतियान भी दिखाया. भौतिक जांच के बाद विधायक व अधिकारियों ने माना कि कोल्हान भूमि बचाओ समिति की शिकायत सही है और मामला भूमि वापसी का है. मौके पर अजीत पुरती, हेलेन देवगम, नारायण कुदादा, सेलाय सुंडी, नरसंडा पंचायत के मुंडा श्रीराम सुंडी, भगवान देवगम, चाहत देवगम, परेश देवगम, बाबू देवगम, सुखलाल सावैयां, विजय देवगम, डीबर देवगम, बबलू सावैयां, डैनी देवगम समेत मतकमहातु व आयता गांव के ग्रामीण भी मौजूद थे.
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40 वर्षों से उद्योगपति बनवारी लाल नेवटिया का है अवैध कब्जा
दरअसल समिति ने विधायक लोबिन हेंब्रम से शिकायत की थी कि मतकमहातु के चार आदिवासियों की कुल आठ एकड़ रैयती जमीन पर गैर आदिवासी उद्योगपति बनवारी लाल नेवटिया का अवैध कब्जा है. निरीक्षण के दौरान लोबिन हेंब्रम तथा अधिकारियों ने कहा कि यह मामला भूमि वापसी का है. पीड़ितों की शिकायत सही है. इस जमीन पर अवैध कब्जा है. सीओ गोपीनाथ उरांव ने भी कहा कि यह अवैध कब्जे का मामला है. पीड़ितों को एसएआर कोर्ट के मध्यम से जमीन वापसी संभव है. एसएआर कोर्ट जाकर जमीन वापस लेने की उन्होंने सलाह दी. विनोद सावैयां ने कहा कि पीड़ित डिबर देवगम के पिता मोरन सिंह देवगम जमीन की लड़ाई-लड़ते चल बसे, लेकिन न्याय नहीं मिला. करीब 40 वर्षों से इस जमीन पर बनवारी लाल नेवटिया का अवैध कब्जा है.
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प्लांट बंद होने के वापस नहीं की जमीन
पीड़ितों का कहना है कि टुंगरी निवासी उद्योगपति बनवारी लाल नेवटिया ने करीब 40 साल पहले हमारे दादा-परदादा से कुल आठ एकड़ जमीन क्रशर प्लांट स्थापित करने के लिए लीज पर ली थी. यह जमीन मतकमहातु के टुंगरी में है. नेवटिया ने इस पर नेवटिया माइंस एंड इंडस्ट्रीज क्रशर प्लांट लगाया. करीब 40 वर्षों तक प्लांट चला. कुछ वर्ष पहले प्लांट बंद हो गया, लेकिन इसके बावजूद जमीन वापस नहीं की जा रही है. जबकि नियमत: जमीन वापस होनी चाहिए थी. ऐसा न होकर उल्टे नेवटिया ने जमीन की चहारदीवारी कर घेराबंदी करवा दी. इसकी शिकायत सदर सीओ से लेकर उपायुक्त, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, विधायक दशरथ गागराई आदि से भी शिकायत की गयी थी. लेकिन ऊंची पहुंच की बदौलत नेवटिया का कब्जा आजतक कायम है.
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इन चार आदिवासी ग्रामीणों की जमीन पर है अवैध कब्जा
मतकमहातु के जिन ग्रामीणों की जमीन पर अवैध कब्जा है, उनमें रैयत डिबर देवगम (पिता मोरन सिंह देवगम) भगवान देवगम (पिता सेड़ेगा देवगम), विजय देवगम (पिता सेड़ेगा देवगम), चाहत देवगम (पिता प्रधान देवगम) और घनश्याम देवगम (पिता सामू देवगम) का नाम शामिल है. पीड़ितों का कहना है कि नेवटिया के कब्जे में उनकी कुल आठ एकड़ जमीन है. उनकी एक पीढ़ी तो जमीन की लड़ाई में ही खप गयी, लेकिन न्याय नहीं मिला. उम्मीद है कि 40 वर्षों बाद अब न्याय मिलेगा.
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आदिवासी जमीन पर अवैध कब्जा दुर्भाग्यपूर्ण : लोबिन हेंब्रम
बोरिया के विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि अदिवासियों की सीएनटी जमीन पर लंबे समय से अवैध कब्जा दुर्भाग्यपूर्ण है. पीड़ितों को हर हाल में न्याय मिलना चाहिए. भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा रहा है. इस पर संबंधित अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत है. झारखंड में अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी. हेंब्रम ने कहा- मैं फिर आऊंगा और इस मामले को देखूंगा.
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जबतक जमीन नहीं मिलेगी लड़ाई जारी रहेगी : विनोद सावैयां
कोल्हान भूमि बचाओ समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सावैयां ने कहा कि इन पीड़ितों को जबतक जमीन वापस नहीं मिलेगी, हमारी लड़ाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि चाईबासा के आसपास एसटी जमीन पर अवैध कब्जे का खेल भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है. लेकिन जिले के अधिकारी शिकायत के बाद भी मूकदर्शक बने हुए हैं.
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30 साल पहले नेवटिया के खिलाफ कोर्ट में पहुंचा था केस
पीड़ितों ने बताया कि करीब 30 पहले बनवारी लाल नेवटिया के अवैध कब्जे से जमीन छुड़ाने के लिए जमीनदाता मोरन सिंह देवगम तथा सामू देवगम ने एडिशनल डिप्टी कमिश्नर सिंहभूम की कोर्ट में नेवटिया के खिलाफ जमीन हड़पने की शिकायतवाद दर्ज करायी थी. केस पर सुनवाई भी शुरू हो गयी थी. लेकिन दुर्भाग्य से केस में डिक्री होने के पहले ही दोनों का असामयिक निधन हो गया. फिर जमीन की लड़ाई छम गयी. लेकिन कई वर्ष बाद अब जब उनके वंशज बड़े हुए, तो उन्होंने एकजुट होकर फिर जमीन की लड़ाई छेड़ दी. वंशज न्याय की मांग पर उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना भी दे चुके हैं. भूमि सुधार विभाग झारखंड सरकार से भी शिकायत की जा चुकी है. मामले को खरसावां के विधायक दशरथ गागराई भी झारखंड विधानसभा में उठा चुके हैं.
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