अपनी बारी आने के लिए करना पड़ता है इंतज़ार, प्रबंधन भी लाचार
Dhanbad : शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) में डायलिसिस विभाग इन दिनों हैंड पावर की कमी से जूझ रहा है. 580 बेड वाले अस्पताल के डायलिसिस विभाग में सिर्फ पांच मशीनें ही काम कर रही हैं. एक दिन में सिर्फ 15 लोगों का ही डायलिसिस हो पा रहा है. ऐसे में मरीजों की लंबी लाइन लगी होती है. किडनी के मरीजों को डायलिसिस के लिए 10 से 15 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है. कई सक्षम मरीज तो निजी अस्पताल की राह पकड़ लेते हैं, जबकि लाचार व साधनहीन व्यक्ति के पास इंतजार करने के सिवा कोई विकल्प नहीं होता है.
पहले भर्ती मरीज, बाहरी बाद में
सूत्रों की मानें तो एसएनएमएमसीएच में डायलिसिस के लिए बड़ी संख्या में बाहर से भी मरीज आते हैं. हालांकि प्रबंधन अस्पताल में भर्ती मरीजों को प्राथमिकता देता है. जिले में निःशुल्क डायलिसिस सेवा सिर्फ एसएनएमएमसीएच में ही उपलब्ध है. इस कारण आए दिन यहां मरीजों की अधिक भीड़ होती है. परंतु सुविधा के अभाव में उन्हें वापस लौटना पड़ता है.
गरीब हैं न, इंतजार ही करना पड़ेगा
तोपचांची के अशोक मंडल किडनी रोग से ग्रसित हैं और आज शनिवार 29 जुलाई को डायलिसिस के लिए एसएनएमएमसीएच आए थे. परंतु भीड़ अधिक होने की वजह से उन्हें लौटना पड़ा. पुत्र सुमित मंडल ने बताया कि वह एक होटल में वेटर का काम करता है. ऐसे में निजी अस्पताल का खर्च नही उठा सकता. इस लिए वह अब इंतजार ही करेंगे.
अगर और पांच मशीन मिल जाती तो…
जानकारी के अनुसार डायलिसिस यूनिट की क्षमता बढ़ाने के लिए तत्कालीन डीसी संदीप सिंह ने विगत मार्च में ही मंजूरी दे दी थी. अप्रैल माह में 5 नई मशीन आ जानी चाहिए थी परंतु 3 माह बाद भी मशीनों कहीं अता-पता नहीं है. अस्पताल के कर्मचारियों की मानें तो पांच मशीनों से रोजाना लगभग 15 मरीजों का डायलिसिस हो पाता है. उन्होंने कहा कि अगर और पांच मशीनें मिल जाएं है तो हर रोज लगभग 30 मरीजों का डायलिसिस किया जा सकता है.
नहीं बढ़ा सकते मशीन: डॉ यूके ओझा
मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ यूके ओझा का कहना है कि आपातकाल में मैन पावर की कमी है. सुविधा बढ़ाने पर काम नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि चार की जगह 5 लोग काम कर रहे हैं. यहां डायलिसिस के लिए पांच मशीन ही बड़ी मुश्किल से चल पा रही है, तो नई मशीन लगाने का कोई तुक नहीं बनता. उन्होंने कहा कि डायलिसिस यूनिट का विस्तार सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में ही संभव होगा.