Jamshedpur (Dharmendra Kumar) : जुगसलाई श्री राजस्थान शिव मंदिर में 9 दिवसीय चल रहे श्रीरामकथा के पांचवें दिन मध्य प्रदेश से आई दीदी ममता पाठक ने श्रीराम-सीता विवाह का प्रसंग सुनाया. श्रीराम-सीता प्रसंग में व्यासपीठ से कथावाचिका ममता पाठक ने कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था. एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी स्थान पर रख दिया. उसी क्षण राजा जनक ने प्रतिज्ञा ली की जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी से सीता का विवाह करूंगा. राजा जनक ने स्वयंवर में आने के लिए सभी राजा महाराजाओं को निमंत्रण भेजा. स्वयंवर में आए सभी लोगों ने एक-एक कर धनुष को उठाने की कोशिश की. लेकिन किसी को भी इसमें सफलता नहीं मिली. तब राजा जनक निराश हो कर महर्षि गुरु वशिष्ठ से कहा कि क्या मेरी पुत्री सीता का विवाह नहीं होगा.
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आरती के बाद किया गया प्रसाद का वितरण
तब गुरु की आज्ञा पाकर श्री राम ने शिव जी के धनुष को पहले नमन किया तत्पश्चात धनुष को उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया. इसके बाद धूमधाम से सीता व श्रीराम का विवाह हुआ. माता सीता ने जैसे प्रभुराम को वर माला डाली वैसे ही देवतागण उन पर फूलों की वर्षा करने लगे. पूरा वातावरण खुशियों से भर उठा. भजन मंडली द्वारा मौके पर श्रीराम-सीता विवाह पर सुंदर एवं मधुर भजन प्रस्तुत किए. भजन सुनकर श्रद्धालु झूमने लगे. आरती के पश्चात लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. इस अवसर पर रतनलाल जगनानी, गिरधारी लाल शर्मा, रूद्रमल सरायवाला, पंडित बजरंग लाल शर्मा, नंदू सिगोदिया, सौरव लाल शर्मा, नरेश अग्रवाल के अलावा भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में उपस्थित थे.