- महिला साहित्यकारों ने प्रदेश सरकार से महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाने की अपील की
Shruti Singh
Ranchi : महिलाओं में होने वाली सबसे आम और गंभीर बीमारियों में से एक है सर्वाइकल कैंसर. इसे लेकर महिलाओं में जागरूकता का अभाव है. सर्वाइकल कैंसर आम तौर पर 13 से 35 वर्ष की आयु की किसी भी युवती/महिला को हो सकता है. खान पान में कमी और अनियमित लाइफ स्टाइल इसका एक बहुत बड़ा कारण है. झारखंड में इसकी वैक्सीन उपलब्ध है. लेकिन इसकी कीमत बहुत अधिक है. सरकार की ओर से इसके नि:शुल्क टीकाकरण की कोई व्यवस्था फिलहाल नहीं की गयी है. ऐसे में राज्य की महिलाओं को इस बीमारी से बचाना आसान नहीं है. रांची की महिला सहित्यकारों का कहना है कि सरकार को इस बीमारी के प्रति बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान और टीकाकरण की व्यवस्था करनी चाहिए.
सर्वाइकल कैंसर पर महिला साहित्यकारों की राय
पोलियो, खसरा की तरह दिया जाए टीका : रीता
साहित्यकार रीता गुप्ता ने कहा कि कैंसर शब्द अपने आप में ही भयावह है, परंतु यदि समय पूर्व इसकी मौजूदगी का एहसास हो जाए तो इलाज संभव है. भारत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर बेहद आम है. अच्छी बात यह है कि इसका टीका (एचपीवी) आ चुका है, वह भी स्वदेशी है. प्राइवेट अस्पतालों में यह तीन से नौ हजार रुपये में बिक रहा है. इसलिए इसे खरीदना सबके लिए संभव नहीं है. जब इस जानलेवा बीमारी के टीके निकल चुके हैं तो हर बच्ची (चाहे वह किसी भी तबके की हो) को आम टीकाकरण जैसे- पोलियो, खसरा की ही तरह उपलब्ध होना चाहिए.
अनिवार्य रूप से मुफ्त में लगे टीका : प्रीता
प्रीता अरविंद का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर से हर साल दुनिया में होने वाली मौतों की एक तिहाई मौतें (लगभग 74000) हमारे देश में होती हैं. इन्हें रोका जा सकता है क्योंकि यह एकमात्र ऐसा कैंसर है जिसकी रोकथाम के लिए वैक्सीन मौजूद है. 11 से 15 वर्ष की बालिकाओं को यह वैक्सीन 2 बार लगाकर इससे बचाया जा सकता है. झारखंड जैसे राज्य में जहां अशिक्षा, बाल विवाह, गरीबी की वजह से बीमारी की संभावना अधिक है. सरकारी स्तर पर दो तरह से इस बीमारी से लड़ा जा सकता है. पहला प्रयास सघन जागरूकता अभियान चलाकर जिसमें वर्कशॉप शिविर पोस्टर, कक्षा में सलाह इत्यादि शामिल हैं. दूसरे स्तर पर सरकार इस महंगे टीके को बच्चों के मुफ्त टीकाकरण से जोड़ सकती है जिसमें बालिकाओं को इसका टीका अनिवार्य रूप से मुफ्त में लगाया जा सके.
टीकाकरण राज्य सरकार का दायित्व : अनीता रश्मि
अनीता रश्मि कहती हैं बच्चियां हैं तो संसार हैं. अतः उनकी शिक्षा, सुरक्षा, समुचित उत्थान के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना आवश्यक है. झारखंडी आदिवासी, दलित, पिछड़ी जातियों के हाथ इतने मजबूत नहीं कि वे स्वयं बच्चियों को इंजेक्शन लगवा सकें. और लगाएं भी क्यों? देश के छह राज्यों में वैक्सीनेशन मुफ्त है. हमारे राज्य की सरकार का भी दायित्व है, वे आगत माताओं के जीवन की सुरक्षा की गारंटी ले, मुफ्त में वैक्सीन दिलवाए. तभी सर्वाइकल कैंसर के खतरे से हमारी रत्नगर्भा धरती मुक्त रहेगी. बच्चियां भी रत्न हैं.
सरकार महिलाओं को बचाए : रेणु मिश्रा
साहित्यकार रेणु मिश्रा कहती है कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के 46 प्रतिशत लोग गरीब हैं. गांवों में यह संख्या 51 प्रतिशत से भी ज्यादा है. सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण स्वच्छता एवं पोषण युक्त भोजन में कमी है. गरीबी के चलते झारखंड की महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं. स्वास्थ्य रिपोर्ट भी इसकी तस्दीक करती है. सर्वाइकल कैंसर से बचाव का आसान उपाय टीका लगाना है, जिसकी कीमत ग्रामीण और गरीब महिलाओं की पहुंच से ज्यादा है. अभाव में महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति उदासीन हो जाती हैं. प्रारंभिक तकलीफों को नजरअंदाज करती हैं. परिणाम होता है कि बीमारी की चपेट में आ जाती हैं. ऐसे में जरूरी है कि सरकार उनका रक्षण करे. नि:शुल्क वैक्सीन लगाए.