Chandil (Dilip Kumar) : स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना चांडिल डैम निर्माण काल से अब तक भ्रष्ट अधिकारी, भ्रष्ट इंजीनियरिंग, भ्रष्ट स्थानीय स्वार्थी नेताओं का चारागाह बनकर रह गया है. यह परियोजना भ्रष्ट अधिकारियों के लिए लूट और नेताओं के लिए विस्थापित राजनीति की खुराक बन गए हैं. सभी ने मिलकर अब तक चांडिल डैम और उससे होने वाले विस्थापितों को केवल लूटने का ही काम किया है. इस परियोजना को इन लोगों ने लूटने का सिस्टम भी तैयार कर रखा है. परियोजना में अगर कोई अच्छे ईमानदार अधिकारी आ भी जाते हैं तो बनाये हुए सिस्टम के कारण सुधार कर काम नहीं कर पाते हैं. इसी लूट के खिलाफ अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले संवैधानिक तरीके से 84 मौजा 116 गांव के विस्थापित आंदोलन कर रहे हैं. उक्त बातें चांडिल डैम के विस्थापित, झारखंड मानवाधिकार संघ कुकड़ू प्रखंड के उपाध्यक्ष व आसार कमेटी के महासचिव विवेक सिंह बाबू ने कहीं. उन्होंने कहा कि 42 वर्षों के बाद भी विस्थापितों को मुआवजा और संपूर्ण पुनर्वास की सुविधा नहीं मिलना अपने आप में बड़ा सवाल है.
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झूठा दस्तावेज तैयार करते हैं पदाधिकारी
विवेक सिंह बाबू ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त पदाधिकारी विस्थापितों को मिलने वाला संपूर्ण हक और अधिकार दिए बिना ही गलत व झूठा दस्तावेज तैयार कर विभाग को भेज देते हैं. अपनी जेब भरने और उपलब्धि गिनाने के चक्कर में 84 मौजा 116 गांव के विस्थापित परिवारों को बेघर, कंगाल व रिफ्यूजी बनाकर छोड़ दिए हैं. मुख्यमंत्री, मंत्री, उच्चाधिकारी आदि ने विस्थापित आयोग बनाने का वादा किया, लेकिन वादा के अनुरुप आयोग का गठन नहीं किया. इसके साथ ही अपने भ्रष्टाचार की लीपापोती करने के लिए बार-बार पुनर्वास नीति में भी फेरबदल करते रहे हैं. प्रत्येक परिवार को विस्थापित विकास पुस्तिका के आधार पर एक सरकारी नौकरी, रोजगार, पुनर्वास की समुचित व्यवस्था और अन्य मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पुनर्वास नीति में उल्लेख किया गया है. मंत्री, नेता व उच्चाधिकारियों की ओर से वादा भी किया गया था, लेकिन अब 42 वर्ष बीत जाने के बाद भी विस्थापितों के साथ केवल छल, कपट व धोखाधड़ी ही हुआ है.
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परियोजना की हो सीबीआई जांच
डैम निर्माण के लिए लोगों की जमीन जायदाद लेने के पहले ही विस्थापितों को सारी व्यवस्था करने की बात कही गई थी, लेकिन 42 वर्षों बाद भी विस्थापित अपने हक व अधिकार के लिए दर-दर की ठोकरें खाने पर विवश हैं. बाध्य होकर अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच कमिटी गठित कर आर-पार की लड़ाई लड़ने का संकल्प लेना पड़ा. यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक विस्थापितों का हक अधिकार से वंचित रख कर खड़ा किए गए समस्या का निदान नहीं किया जाता है. क्षेत्र में राजनीति करने वाले नेता, मंत्री, पदाधिकारी व सरकारी कर्मचारी मस्त हैं और चांडिल डैम के कारण होने वाले विस्थापितों का जीवन अस्त व्यस्त है. विस्थापितों की मांग के अनुरुप सरकार को इस परियोजना की सीबीआई जांच करानी चाहिए. क्षेत्र के वर्तमान सांसद ने भी सीबीआई जांच की पहल की है.