पुजारी पिता की पिटाई के बाद बने नक्सली, थामा हथियार
Dhanbad : गुरुवार 10 अगस्त को गिरफ़्तार किये गये भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रमोद मिश्र का धनबाद से भी कनेक्शन रहा है. पहली बार मई 2008 में धनबाद के विनोद नगर से ही उनकी गिरफ़्तारी हुई थी. जानकारी के मुताबिक पुलिस प्रमोद मिश्र की गिरफ़्तारी के लिए कई राज्यों में छापेमारी कर रही थी. 3 मई 2008 को रांची के बस स्टैंड से प्रमोद मिश्र के बड़े बेटे सुधीर को पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. जिसके एक सप्ताह बाद 11 मई 2008 को पुलिस धनबाद के विनोद नगर पहुंची थी. जहां एक किराये के मकान में रह रहे नक्सली नेता को गिरफ़्तार कर साथ ले गई थी. गया जिले के रफीगंज से 16 किलोमीटर दूर कसमार गांव में प्रमोद मिश्रा का पुशतैनी घर है. प्रमोद मिश्रा के तीन बेटे सुधीर, सुजीत और संजीत और दो बेटी है. दोनो बेटियों का विवाह हो चुका है. उनके छोटे भाई प्रवेश मिश्र अध्यापक है.
मास्टर जगदीश यादव से ही सीखे सारे गुर
पुजारी पिता तारकेश्वर मिश्र की कुछ लोगों द्वारा पिटाई के बाद प्रतिशोध में प्रमोद मिश्र नक्सली संगठन में शामिल होकर हथियार थाम लिया. उनके ख़िलाफ़ खिलाफ औरंगाबाद और गया जिले में कई मामले दर्ज है. मगध में नब्बे के दशक में एमसीसी के प्रदेश संयोजक गया जिले के ही कोंच के निवासी विजय कुमार आर्य की तूती बोलती थी. प्रमोद सुपर बॉस की श्रेणी में थे. एमसीसी पर प्रतिबंध के बाद जन प्रतिरोध मंच बना. जिसके बैनर तले नक्सलियों ने गया के साथ-साथ हजारीबाग, चतरा, पलामू मे प्रशासन को नाकोदम कर दिया. उस दौरान प्रमोद की गतिविधियों का मुख्य केंद्र मगध विश्वविद्यालय का होस्टल था. जिस समय एमसीसी औरंगाबाद में अपना आधार तलाश रही थी, उसी समय प्रमोद ने एमसीसी का दामन थामा था. तब एमसीसी के एक प्रमुख ओहदेदार मास्टर जगदीश यादव उससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने प्रमोद को संगठन में प्रमुख पद दे दिया था. प्रमोद ने संगठन संचालन से लेकर गुरिल्ला हमला करने तक के गुर मास्टर जगदीश से ही सीखे थे.
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