- भगवान बुद्ध के भी पड़े थे पावन चरण, बाद में प्रकट हुए थे स्वयंभू देवाधिदेव महादेव
- रामगढ़ राज परिवार भी लगाते रहे हैं हाजिरी, ब्रिटिश जमाने का बना है मीठा तालाब
Amarnath Pathak
Hazaribagh : हजारीबाग का बुढ़वा महादेव मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग बौद्धकालीन माना जाता है. यहां भगवान बुद्ध के भी पावन चरण पड़े थे. बताया जाता है कि हजारीबाग से भगवान बुद्ध जब गुजर रहे थे, तो उन्होंने इसी जगह पर रात में विश्राम किया था. वह यहां ध्यानावस्था में रहे थे. बाद में इसी स्थान पर शिवलिंग निकला. इस शिवलिंग के चारों ओर बुद्ध की मूर्तियां उभरी हुई है और मूर्तियों के ऊपर गड्ढे की आकृति है. उसमें हमेशा पानी जमा रहता है.
पूर्व विधायक सौरभ नारायण सिंह कहते हैं कि उनके पूर्वज रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण समेत पूरा परिवार इसी मंदिर में पूजा-अर्चना किया करते थे. लगभग 550 साल पुराना इस मंदिर का इतिहास है, जो दो एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है.
मंदिर में शिवलिंग के अलावा मां वैष्णो दुर्गा और बजरंग बली की प्रतिमा विराजमान है. मंदिर के पास मीठा तालाब भी है. पूजा पाठ करने के पहले तालाब में नहाने की मान्यता भी है. ब्रिटिश जमाने में इसी तालाब से पूरे हजारीबाग के लोग पानी भी पिया करते थे. मीठा तालाब का पानी मीठा होने के साथ-साथ पाचन शक्ति को दुरुस्त करता है. हालांकि अब प्रदूषण के कारण इस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है.
यहां का शिवलिंग इटखोरी के शिवलिंग से मिलता-जुलता है. इस कारण भी हजारीबाग के बुढ़वा महादेव को बौद्धकालीन शिवलिंग कहा जाता है. वहीं यहां के पंडित प्रमोद मिश्र कहते हैं कि पांच पीढ़ियों से मंदिर में पूजा-अर्चना करा रहे हैं. ऐसी आस्था है कि इस मंदिर में जो श्रद्धालु सच्चे मन से कुछ मांगता है, तो उसकी मन्नत अवश्य पूरी होती है. इस कारण दूरदराज से लोग भी यहां पहुंचते हैं. बुढ़वा महादेव मंदिर से हजारीबाग के लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. इस मंदिर में पूजा का शुभारंभ पंडित गिरिजानंदन मिश्र ने किया था. हाल के वर्षों तक प्रमोद मिश्र की मां शकुंतला देवी मंदिर की सेवा में जुटी रहीं. इस मंदिर में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. दोनों वक्त घड़ी घंट और शंख ध्वनि के साथ महाआरती होती है और भोग लगता है. मंदिर परिसर में शादी-ब्याह से संबंधित भी आयोजन कराए जाते हैं. सावन और महाशिवरात्रि में जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, महारूद्राभिषेक आदि के लिए शिवभक्तों का तांता लगा रहता है.
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