मरीज के परिजनों ने लगाया गड़बड़ी का आरोप
Sourav Kumar Shukla
Ranchi: झारखंड के 16 जिलों के सदर अस्पतालों में पीपीपी मोड पर डायलिसिस की सेवा दी जाती है. प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम के तहत मरीजों के डायलिसिस करने का जिम्मा मेसर्स एस्केग संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड के हाथो में है. लेकिन कंपनी के द्वारा बिना मेडिकल ऑफिसर के डायलिसिस का काम किया जा रहा है. जबकि एमओयू में साफ लिखा है कि डायलिसिस यूनिट में चिकित्सक की मौजूदगी में ही डायलिसिस होनी चाहिए. वही डायलिसिस केंद्र में व्याप्त खामियों को लेकर नीतीश कुमार नामक व्यक्ति ने स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों से अनियमितता की जांच करने की मांग की है.
महिला मरीजों को अटेंड करने के लिए नहीं है महिला नर्स
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को लिखे गए पत्र में उल्लेख किया है कि डायलिसिस यूनिट में महिला मरीजों को अटेंड करने के लिए कोई भी महिला नर्स नहीं है. जबकि एमओयू में साफ शब्दों में उल्लेख किया गया था कि जीएनएम स्टाफ की उपलब्धता होनी चाहिए. वहीं बायोमेडिकल वेस्ट के निष्पादन का कोई प्रावधान नहीं है. डायलिसिस के दौरान निकलने वाला मेडिकल वेस्ट यूनिट में पड़ा रहता है. जबकि एमओयू में उल्लेख है कि एजेंसी को बायोमेडिकल कंपनी के साथ रजिस्टर्ड होना चाहिए. डायलाइजर को 10 बार इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन डायलाइजर की गुणवत्ता जांचने वाली डायलाइजर रिप्रोसिंग मशीन किसी भी यूनिट में उपलब्ध नहीं है.
डायलिसिस यूनिट में नहीं रखा जाता है हाइजीन का ख्याल
वही डायलिसिस यूनिट में हाइजीन का ख्याल नहीं रखा जाता है. हेपेटाइटिस बी, एचसीवी मरीज का डायलिसिस बेड और नॉर्मल रोगियों को डायलिसिस बेड के बीच में कोई गैप नहीं रहता है. एमओयू में ऐसा भी प्रावधान है. वहीं किसी भी यूनिट में मरीजों के बैठने की कोई भी व्यवस्था नहीं है. नीतीश ने मांग की है कि डायलिसिस यूनिट का औचक निरीक्षण नेफ्रोलॉजिस्ट और विशेषज्ञों की मौजूदगी में करें.
एस्केग संजीविनी की लापरवाही से बिगड़ी मेरी मां की तबीयत
लगातार. इन “शुभम संदेश” से बातचीत करते हुए नीतीश ने कहा कि मेरी 70 वर्षीय मां रागिनी देवी का डायलिसिस देवघर सदर अस्पताल में होता था. वहां डायलिसिस करवाने पर मेरी मां की स्थिति काफी बिगड़ गई. जिसके बाद पटना में नेफ्रोलॉजिस्ट से इलाज के लिए पहुंचे. इस दौरान नेफ्रोलॉजिस्ट ने कहा कि जिस सेंटर में डायलिसिस होती थी, वहां पर एक ही डायलेजर ट्यूब से 10 लोगों की डायलिसिस की जाती है. जिस कारण समस्या हुई. मैंने एस्केग संजीविनी पर अनियमितता को लेकर जांच की मांग स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से करता हूं.
हमारी कंपनी के ऊपर लग रहे आरोप निराधार
उधर, मेसर्स एस्केग संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड के टेक्निकल कोऑर्डिनेटर सौरभ मजूमदार ने कहा कि जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वो निराधार हैं. अभी तक लेटर हमें नहीं मिला है, हालांकि एनएचएम और सभी सिविल सर्जन को मेल किया गया है इसकी सूचना जरूर मिली है. एमओयू में जिन बातों का उल्लेख है हम सभी का पालन कर रहे हैं. नीतीश कुमार ने हमारी कंपनी के द्वारा संचालित 16 यूनिट पर आरोप लगाया है, जबकि वह मरीज 16 यूनिट में तो अपना डायलिसिस नहीं कर रहा है. आरोप लगाने वाले पर लीगल एक्शन लूंगा.