Ranchi : सरकार ने समाज के हर तबके के लोगों को स्कूल से जोड़ने से लेकर बच्चों की अच्छी सेहद के लिए मध्यान भोजन योजना (MDM) चलाया था. इसका मकसद है कि बच्चे स्कूल से जुड़कर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें. लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी और स्कूल के मास्टर ने मध्यान भोजन के नाम पर करोड़ों रूपये डकार लिये. कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूल बंद है.
बच्चों के स्कूल आने पर रोक है. ऐसे में शिक्षकों को बच्चों के घर जाकर मिड-डे मील का चावल और कुकिंग कॉस्ट देना था. जिससे बच्चे को स्कूल के बजाये घर पर ही सेहतमंद भोजन मिल सके. मगर झारखंड के 1260 स्कूल के शिक्षकों ने मिड-डे मील का चावल और कुकिंग कॉस्ट की राशि का बंदरबांट कर लिया. एक स्कूल में कम से दो लाख रूपये का गबन हुआ. इस प्रकार 1260 स्कूल में 25 करोड़ 20 लाख रूपये का घोटाला हुआ. इस घोटाले की विस्तृत जांच कराने पर बड़े घोटाले का खुलासा होगा.
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कागजात का ऑडिट नहीं करा रहे शिक्षक
मिड-डे मील योजना में गड़बड़ी की शिकायत लगातार मिल रही थी. शिक्षा विभाग को राज्य के 1260 स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली मिड-डे मील (MDM) की राशि में घोटाले की आशंका है. विभाग के बार-बार निर्देश के बाद भी इन स्कूलों के प्राचार्य MDM संबंधी बैंक खातों और अन्य जरूरी कागजातों की ऑडिट नहीं करा रहे हैं.
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चावल-राशि वितरण का फेज वाइज तैयार करनी है रिपोर्ट
कोविड गाइडलाइन के तहत मार्च से अबतक मिड-डे मील का चावल और कुकिंग कॉस्ट के वितरण से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना है. वह भी फेज वाइज. उस रिपोर्ट को प्राचार्य और शिक्षक द्वारा फेज वाइज ऑडिट नहीं कराया जा रहा है. बार-बार रिमाइंडर के बाद भी शिक्षक चावल और राशि वितरण से संबंधित कागजात प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं.
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डायरेक्टर ने डीसी को दिया कार्रवाई का निर्देश
MDM डायरेक्टर वीपी सिंह ने मिड-डे मील में गड़बड़ी करने वाले स्कूलों के प्राचार्यों पर कार्रवाई का आदेश दिया है. उन्होंने सभी जिले के उपायुक्तों को कार्रवाई कर जल्द सूचना देने का निर्देश दिया है. वहीं डीसी से कहा है कि गड़बड़ी करने वाले विद्यालयों में कार्यरत लापरवाह प्राचार्यों और प्रभारी प्राचार्यों को प्रभार से हटाया जाये.
साथ ही ये सुनिश्चित किया जायेगा कि इन्हें कभी भी प्रधानाध्यापक का पद न मिल सके. साथ ही झारखंड सेवा संहिता के नियमों के मुताबिक, इन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने पर विचार करने का निर्देश भी दिया गया है. गड़बड़ी करने वाले स्कूलों के शिक्षकों के वेतन वृद्धि को रोकने का निर्देश भी MDM डायरेक्टर ने दिया है.
मंत्रालय का गाइडलाइन, बच्चों को हर हाल में मिलना चाहिए MDM का लाभ
कोविड संकट और लॉकडाउन के बीच मिड-डे मील को जारी रखने के मामले में कई राज्यों की ढिलाई बरती. जब सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से नोटिस जारी कर पूछा कि स्कूल बंद कर दिये जाने के बाद वे अपने यहां मिड-डे मील योजना क्यों नहीं जारी रख पा रहे हैं.
और अगर जारी रखेंगे तो किस सूरत में. जिसके बाद आनन-फानन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 20 मार्च को सभी राज्यों को भेजे गये निर्देश में ये स्पष्ट किया था कि लॉकडाउन के बावजूद सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील योजना चलती रहनी चाहिए. इसके तहत बच्चों को राशन या भत्ता मिलना चाहिए.
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