New Delhi : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम चुनावी बॉण्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की पृष्ठभूमि में सोमवार को भाजपा पर हमलावर हुए. आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिये हैं कि वह बड़े कॉरपोरेट समूहों से अपारदर्शी, गुप्त और षड्यंत्रकारी तरीके से चंदा एकत्र करेगी. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
On the eve of the hearing of the Electoral Bonds case, the BJP has made its intentions clear
The BJP will raise its funds from big corporates in an opaque, secretive and conspiratorial manner
The answer to this is transparent crowd-funding from small donors through recordable…
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 30, 2023
You know what is truly amusing? The hypocrisy of your arguments. On the eve of the Electoral Bonds case hearing, you are trying to spin the narrative to fit your own agenda, but let us set the record straight, shall we?
Firstly, let us talk about democracy. True democracy is… https://t.co/Ig87O0q1lp
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 30, 2023
देखते हैं कौन जीतता है, बड़े कॉरपोरेट या आम नागरिक : चिदंबरम
चिदंबरम के आरोप पर भाजपा ने उन पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस राजनीतिक चंदे की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के किसी भी प्रयास के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखती है. चिदंबरम ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, चुनावी बॉण्ड मामले की सुनवाई की पूर्व संध्या पर भाजपा ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिये हैं कि वह बड़े कॉरपोरेट समूहों से अपारदर्शी, गुप्त और षड्यंत्रकारी तरीके से धन जुटायेगी. उन्होंने कहा, देखते हैं कौन जीतता है, बड़े कॉरपोरेट या आम नागरिक, जो राजनीतिक दलों को चंदा देने में गर्व महसूस करते हैं.
चिदंबरम के पोस्ट को टैग करते हुए भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, आप जानते हैं कि वास्तव में मनोरंजक क्या है? आपके तर्कों का पाखंड. चुनावी बॉण्ड मामले की सुनवाई की पूर्व संध्या पर आप अपने एजेंडे को फिट करने के लिए कहानी को घुमाने की कोशिश कर रहे हैं. मालवीय ने कहा, सच्चा लोकतंत्र तब है, जब छोटे व्यवसायों और कॉरपोरेट दानदाताओं को किसी भी पार्टी को अनुदान देने की आजादी हो और अगर कोई अलग पार्टी सत्ता में आती है, तो प्रतिक्रिया का डर न हो.
राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को इस चंदे की घोषणा करनी होती है
उन्होंने कहा, नकद चंदे की पूरी तरह से अपारदर्शी प्रणाली को आप बहुत पसंद करते हैं. इस व्यवस्था के विपरीत चुनावी बॉण्ड की व्यवस्था के तहत दानकर्ता अपने खाते में राशि का खुलासा करता है. प्रत्येक राजनीतिक दल को चुनाव आयोग को इस चंदे की घोषणा करनी होती है. मालवीय ने दावा किया, भाजपा चुनावी बॉण्ड के माध्यम से केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करने, निष्पक्ष चंदा देने के लिए दाता की पहचान की रक्षा करने और लोकतंत्र की सच्ची भावना को बनाए रखने की कोशिश कर रही है.
चुनावी बॉण्ड योजना को दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया गया था
यह अफ़सोस की बात है कि कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और राजनीतिक चंदे की व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाने के किसी भी प्रयास के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखती है. बता दें कि पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ पार्टियों के राजनीतिक वित्त पोषण के लिए चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर 31 अक्टूबर से सुनवाई शुरू करने वाली है. चुनावी बॉण्ड योजना को दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया गया था.
इसे राजनीतिक वित्त पोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पार्टियों को नकद चंदे के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया था. योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉण्ड भारत की नागरिकता रखने वाले व्यक्ति या भारत में स्थापित संस्थान द्वारा खरीदे जा सकते हैं. इसे कोई व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से खरीद सकता है.