Jamshedpur (Ratan Singh) : छत्तीसगढ़ी पर्व त्योहार में गौरा-गौरी पूजा भी प्रसिद्ध है. बताते चले कि दीपावली की मध्य रात्रि को छत्तीसगढ़ी समाज के लोगों के द्वारा विभिन्न स्थानों में अपनी परंपरा और संस्कृति के अनुरूप गौरा-गौरी पूजन का आयोजन किया जाता है. गौरा-गौरी का अर्थ भगवान शंकर और माता पार्वती से है. श्री श्री गौरा-गौरी पूजा समिति टुइलाडूंगरी के द्वारा प्रत्येक वर्ष भव्य रूप से इस पूजन का आयोजन किया जाता है. समाज के लोग दस दिन पूर्व से इस पूजन की तैयारी करते है. अविवाहित लड़कियां विशेष रूप से इस पूजन में शरीक होती है. मान्यता है कि जो लड़कियां कलश और ज्वारा अपने सर पर ले कर चलती है उन्हें अच्छा और सुंदर वर की प्राप्ति होती है. रविवार की रात इस पूजन का प्रारंभ भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. उसके बाद विधि विधान से पूजा संपन्न हुई.
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कई लोगों किया सम्मानित
यहां बच्चों द्वारा छतीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था. लंबे समय से मिट्टी निर्मित गौरा-गौरी के निर्माण में सहयोग करने के लिए पूजा कमेटी ने पारसनाथ साहू और टीका राम साहू को दिनेश कुमार ने सम्मानित किया. साथ ही छत्तीसगढ़ी पारंपरिक गीतों को संजोने के लिए सावित्री साहू और फूलो देवी को सम्मानित किया गया. महिलाओं ने सुवा गीत और गौरा-गौरी गीतों पर नृत्य भी किए. पूजा समाप्ति के पश्चात अगले दिन सुबह शोभा यात्रा निकाल कर स्वर्णरेखा नदी में गौरा-गौरी, ज्वारा और पूजन सामग्री को विसर्जित की गई. कार्यक्रम में विशेष रूप से गिरधारी साहू, नरेश निषाद, कामता साहू उपस्थित थे.
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कार्यक्रम में इनका रहा सहयोग
कार्यक्रम के आयोजन में महावीर प्रसाद, चंद्रिका निषाद सुकालू, श्रीनु राव, मनमोहन लाल, कामेश्वर साहू, जमुना निषाद, नूतन साहू, इंद्रा साहू, दिनेश साहू सोनू, कलावती देवी, द्रौपदी साहू, नन बाई, गौरी देवी, फुलेश्वरी निषाद, सोनी साहू, कमला निषाद, रिंकी साहू, बबली साहू, धर्मराज साहू, ओम निषाद, अमित साहू, विक्की निषाद, मनीषा साहू, छोटी साहू और काफी संख्या में समाज के लोगों की अहम भूमिका थी.