बिहार में होगी कांग्रेस की अग्निपरीक्षा
लालू प्रसाद ही तय करेंगे कांग्रेस का भविष्य ?
सन 90 से गिरता रहा कांग्रेस का ग्राफ
Gyanvardhan Mishra
Patna: बिहार में अग्निपथ पर चल रही कांग्रेस के लिए मिशन 2024 अग्निपरीक्षा से कम नहीं. दरअसल सन 90 से लगातार अपना जनाधार खोती कांग्रेस अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. अंदरूनी विवाद संगठन को दीमक की तरह चाट रहा है सो अलग. बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछाई जा रही है. एनडीए ने अपने कुनबे में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को शामिल कर सामाजिक समीकरण को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की है. वहीं, महागठबंधन में राजद, जदयू, कांग्रेस, सीपीआई (एमएल), सीपीआई और सीपीएम मिला कर कुल छह दल शामिल हैं. ”हम” पहले महागठबंधन का हिस्सा था, जो अब एनडीए का घटक दल है. एनडीए और महागठबंधन में शामिल सभी दलों का अपना बेस और कैडर वोट है, जो उनके अस्तित्व को बचाये हुए है. लेकिन, यहां सबसे अधिक ऊहापोह की स्थिति कांग्रेस की है. कांग्रेस के ”हाथ” की बिहार में इतनी शक्ति नहीं की वह अपने बूते कोई करामात दिखा सके. एक समय था जब अगड़ी जातियां कांग्रेस की वोट बैंक हुआ करती थीं. मुस्लिम और दलित वर्ग के वोटों पर भी कांग्रेस की अच्छी पकड़ थी. वहीं, रामलखन सिंह यादव, रामजयपाल सिंह यादव, बुद्धदेव सिंह और प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद और डॉ. रामराज सिंह जैसे कद्दावर नेता भी थे, जिनकी पिछड़े वर्ग के वोटरों पर अच्छी पकड़ थी. लेकिन, स्थितियां बदली गयीं और वर्तमान में कांग्रेस का बेस वोट पूरी तरह खिसक चुका है. हालात यह है कि कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाये रखने के लिए दूसरे दलों से गठबंधन कर उस पर निर्भर रहना राजनीतिक आवश्यकता सी बन गयी है.
2024 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की और से महागठबंधन में नौ सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने के दावे ठोके जा रहे हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने महागठबंधन की ओर से अपने नौ उम्मीदवार खड़े किये थे, जिसमें सिर्फ एक सीट किशनगंज में कांग्रेस उम्मीदवार मो. जावेद को जीत मिली थी. हालांकि पिछले प्रदर्शन को देखते हुए इसकी संभावना कम दिखती है कि महागठबंधन में कांग्रेस को नौ सीटें मिलेंगी. जानकारों का कहना है कि यह सब राजद सुप्रीमो लालू प्रासाद ही तय करेंगे. उनका पलड़ा इतना भारी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उनसे राय परामर्श के बिना कोई बड़ा फैसला करने से हिचकते हैं. रही बात कांग्रेस की तो उनके ही सद्प्रयासों से अंततः चार-पांच सीटों पर सहमति बन सकती है. इधर पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रंजीता रंजन और अखिलेश कुमार सिंह को चुनाव मैदान में उतारे जाने की पूरी संभावना है. फिलहाल दोनों राज्यसभा के सदस्य हैं. कांग्रेस की राह में सबसे बड़ी मुश्किल पार्टी के अंदर की गुटबाजी है. जिला स्तर पर तो गुटबाजी है ही, प्रदेश स्तर पर भी पार्टी दो गुटों में बंटी है, एक गुट अखिलेश कुमार सिंह का है, वहीं दूसरा गुट अजीत शर्मा का है. कांग्रेस के 19 विधायक भी इन दो गुटों में बंटे हैं. हलांकि राहुल गांधी को ही अपना नेता मानते हैं यह जानते हुई कि राहुल गांधी या सोनिया जी का रिमोट लालू प्रसाद के पास है. 90 से जबसे कांग्रेस ने लालू प्रसाद का दामन थामा है, ग्राफ गिरता ही गया है. अब तमाशा मिशन 2024 में देखने लायक होने की संभावना है.