विश्वविद्यालयों को यूजीसी का निर्देश, पोर्टल पर दें प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की विवरणी
Ranchi: विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के नाम पर चहेतों को लाभ पहुंचाने की परंपरा समाप्त होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्त होने वालों की विवरणी मांगी है. विवरणी के बाद यूजीसी द्वारा बताया जाएगा कि प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पद पर नियुक्त कौन उम्मीदवार सही है और कौन गलत. इस संबंध में यूजीसी ने 1 दिसंबर का इस संबंध में अधिसूचना जारी किया है. इसे लेकर यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पोर्टल लॉन्च किया है. यह पोर्टल एक ऐसे मंच के रूप में कार्य करता है, जहां से पेशेवर आते हैं. अपनी जानकारी देते है. जिसके बाद वह पंजीकृत हो सकते हैं. वर्तमान में, 4255 विशेषज्ञ पहले ही पोर्टल पर पंजीकृत है. जो देशभर के विश्वविद्यालयों समेत 325 उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के रूप में अपना योगदान दे सकते हैं. यूजीसी के नए गाइडलाइन के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों को अवश्यकतानुसर प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के लिए प्रोर्टल पर डिमांड भेजना होगा. पोर्टल पर उद्योग, वाणिज्य, इंजीनियरिंग, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, साहित्य व कला आदि क्षेत्र के विशेषज्ञ अपना पंजीकरण करा सकते हैं.
यूजीसी ने पहले ही उच्च शिक्षण संस्थानों को नियुक्ति के संबंध में नियमों व अध्यादेशों में आवश्यकता परिवर्तन करने का भी सुझाव दिया था. प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति अधिकतम चार साल के लिए की जा सकती है. प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस व लोग हो सकते हैं, जो अपने मूल व्यवसाय से शिक्षक नहीं है और न ही उनके पास विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य के लिए पीएचडी या यूजीसी नेट जैसी निर्धारित योग्यता है. विवि उनके व्यापक प्रोफेशनल अनुभव के आधर पर छात्रों को पढाने के लिए नयुक्त कर सकते हैं. प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को ऐसे विषय पढ़ाएंगे, जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2O2O में एक प्रावधान किया गया है, उच्च शिक्षा के लिए परिवर्तनकारी दृष्टिकोण, कौशल-आधारित शिक्षा पर जोर देना उद्योगों और व्यापक अर्थव्यवस्था की उभरती जरूरतों के साथ तालमेल बिठाएं. इसी के तहत यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस पद पर नियुक्त लोगों की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है.
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