साइक्लोन मिचौंग बना किसानों के दर्द का कारण
Team: Sonahatu/Rahe/Silli/Muri/Kanke/Namkum/Budhmu/Bero
इन दिनों हो रहे लगातार बारिश के कारण किसानों का सारा मेहनत बर्बाद हो गया. किसान किसी तरह ऋण-उधारी-कर्ज लेकर दिन-रात कड़ी मेहनत करके पसीना बहा कर अपने परिवार का भोरण-पोषण रोजी-रोटी के लिए खेती करते हैं, लेकिन साइक्लोन मिचौंग के कारण किसानों का सारा मेहनत मिट्टी में मिल गया. किसानों का जीविका का एक मात्र विकल्प खेती है, खेती के माध्यम से ही अपने अपने बाल-बच्चों का पढ़ाई लिखाई संभव हो पाता है.
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किसान हंसी खुशी से अपने अपने खेत में लगे धान को काटकर घर ले जाने का तैयारी कर रहे थे. बस इसी बीच साइक्लोन मिचौंग का आगमन होता है और किसानों का सीने में दर्द दे चला जाता है. किसानों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है किसानों का धान की खेती का बर्बादी का ये मंजर काफी संवेदनशील है.
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बता दें कि पूरे पंच परगना क्षेत्र जंगली हाथियों के प्रकोप से गिरा हुआ है यहां के ग्रामीण किसी तरह अपने फसलों के बचाव के लिए बम पटाखा मसाल लिये रातजगवारी करते हैं ताकि फसल के साथ-साथ गांव का भी सुरक्षा हो सके क्योंकि प्रतिदिन किसी न किसी गांव में जंगली हाथियों के झुंड के द्वारा पैरों तले फसलों को रौंद दिया जाता है तो कहीं किसी व्यक्ति को इसका शिकार होना पड़ता है. साइक्लोन मिचौंग ने तो किसानों का जिंदगी पूरी तरह तहस नहस कर दिया. किसान करें तो क्या करें, किसान बड़ी आशा के साथ ऋण- कर्ज लेकर खेती किए हुए थे ताकि खेती के माध्यम से अपने-अपने परिवारों का भोरण पोषण भी हो जाता है एवं ऋण कर्ज का चुकता भी हो जाता. तेज वारिस के कारण किसानों को धान उड़ाने तक का मौका नहीं मिला .किसानों के खेत में पानी लबालब भरा हुआ है धान पूरी तरह डूब गया है.
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क्या कहते हैं किसान
हमारा पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर है अब करें तो क्या करें गुहार कहां लगाएं. किसी तरह अपना खेती का सुरक्षा हाथी से किये तो साइक्लोन मिचौग ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया. कर्ज लेकर खेती किए थे. अब कर्ज कैसे चुकायें, परिवार का भरण-पोषण, बाल-बच्चों का पढ़ाई-लिखाई कैसे करें.