Ranchi: झारखंड भी अब दूसरे राज्यों की तरह जीएसटी (GST Compensation)के लिए केंद्र सरकार की तरफ से बनाए गये नियमों का पालन करेगा. इससे पहले तक झारखंड सरकार केंद्र सरकार के बनाए नियमों का विरोध कर रहा था. झारखंड के साथ ही दूसरे राज्य भी इसका विरोध कर रहे थे. लेकिन अब धीरे-धीरे सभी राज्यों ने हांमी भर दी है. बता दें कि झारखंड अपनी रजामंदी जताने वाले सबसे आखिरी राज्य बना. इस व्यवस्था के तहत झारखंड को 1,689 करोड़ रुपए स्पेशल बॉरोइंग विंडो (Special Borrowing Window) के तहत मिलेंगे. साथ ही जीडीपी का 0.50 फीसदी यानी 1,765 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज भी प्रदेश ले सकता है. चालू वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी में गिरावट की भरपाई करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के सामने दो विकल्प रखा था.
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केंद्र सरकार के ऑप्शन वन के तहत मिली सुविधाएं
ऑप्शन वन यानी पहले विकल्प में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके जीडीपी के 0.5 फीसदी के बराबर अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा. आत्मनिर्भर पैकेज के तहत 17 मई 2020 से राज्यों के जीडीपी का 2 फीसदी कर्ज लेने की अनुमति मिलने के अतिरिक्त होगा. सभी राज्यों के लिए कर्ज सीमा 1.1 लाख करोड़ के उपर या अतिरिक्त होगा.
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7 दिसंबर को राज्य सरकार लेगी 6000 करोड़ का कर्ज
23 अक्टूबर से लागू इस नयी व्यवस्था के तहत भारत सरकार ने 4 किस्तों में अब तक 30000 हज़ार करोड़ रुपये कर्ज राज्यों को दे चुकी है. 23 अक्टूबर, 2 नवंबर, 9 नवंबर, 23 नवंबर और 1 दिसंबर को पांच किस्तों में राज्यों के लिए केंद्र सरकार ने कर्ज दिया है. अब इसका लाभ झारखंड को भी मिलेगा. राज्यों सरकार 7 दिसंबर को 6000 करोड़ रुपये का कर्ज लेगी, तो जीएसटी लागू करने से हुई क्षतिपूर्ति के लिए झारखंड सरकार को भी रकम दिया जाएगा. अब तक 28 राज्यों व 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने पहला विकल्प चुना है
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किस राज्य को कितना कर्ज
झारखंड- 1,765 करोड़
उत्तर प्रदेश- 9703 करोड़
तमिलनाडु- 9627 करोड़
कर्नाटक- 9018 करोड़
हरियाणा -4293 करोड़
हिमाचल प्रदेश- 877 करोड़
केरल -4522 करोड़
मध्य प्रदेश -4746 करोड़
मणिपुर -151 करोड़
मेघालय -194 करोड़
मिजोरम- 132 करोड़
नागालैंड -157 करोड़
ओडिशा- 2858 करोड़
पंजाब -3033 करोड़
राजस्थान -5462 करोड़
सिक्किम -156 करोड़
तेलंगाना -5017 करोड़
त्रिपुरा -297 करोड़
उत्तराखंड- 1405 करोड़
पश्चिम बंगाल -6787 करोड़
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