New Delhi : तृणमूल कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए मंगलवार को सवाल उठाया कि क्या मोदी की गारंटीवाले नारे का मतलब सत्तारूढ़ दल द्वारा संस्थानों पर कब्जा जमाना है? दावा किया कि प्रधानमंत्री ने अपने चुनावी वादे कभी भी पूरे नहीं किये. यहां एक संवाददाता सम्मेलन में तृणमूल की सागरिका घोष और बाबुल सुप्रियो ने अधिकारियों को हटाने के निर्वाचन आयोग के आदेश पर भी सवाल उठाये.
नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
“Modi Ki Guarantee is ‘Swapno Ki Guarantee’ i.e., a ‘Guarantee of Dreams’, not ‘Hakikat ki Guarantee'”
– Smt. @sagarikaghoseThe infrastructure of Jayapur – one of the 4 villages that PM @narendramodi adopted in his constituency, Varanasi – is crumbling. It is by no stretch of… pic.twitter.com/VD9ydEyi6C
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) March 19, 2024
सभी दलों को समान अवसर मिले
सुप्रियो ने कहा कि निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी दलों को समान अवसर मिले. घोष ने कहा, मोदी की गारंटी पूरी तरह खोखली है और इसमें कुछ भी वास्तविक नहीं है.’’ उन्होंने कहा, मोदी प्रधानमंत्री नहीं, चुनाव मंत्री हैं. वह चुनाव के समय वादे तो करते हैं, लेकिन उन्हें कभी पूरा नहीं करते. मोदी की गारंटी क्या है? बंगाल में जिस तरह से अधिकारी बदले जा रहे हैं, संस्थाओं पर कब्जा जमाया जा रहा है, क्या यह मोदी की गारंटी है?’सुप्रियो ने कहा, जिस तरह से चुनाव हो रहे हैं, पुलिस महानिदेशक का तबादला किया गया, ये क्या दर्शाता है?
मतदान लंबे समय तक चलता है तो लोगों की दिलचस्पी कम हो जाती है
देखा गया है कि जब मतदान लंबे समय तक चलता है तो लोगों की दिलचस्पी कम हो जाती है और बाद के चरणों में कम मतदान होता है. अगर आप चुनाव कार्यक्रम पर गौर करेंगे तो पायेंगे यह कार्यक्रम भी इसी आधार पर तय किया गया है. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सभी दलों को समान अवसर देना चाहिए. निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार को हटाने का निर्देश दिया था और उनकी जगह विवेक सहाय की अनिवार्य रूप से नियुक्त करने को कहा था. हालांकि, निर्वाचन आयोग ने 24 घंटे से भी कम समय के भीतर ही मंगलवार को सहाय को इस पद से हटा दिया और राज्य सरकार को उनके स्थान पर संजय मुखर्जी को पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया.
सत्तारूढ़ तृणमूल और विपक्षी भाजपा के बीच सियासी जंग छिड़ी
राजीव कुमार को हटाने के निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल और विपक्षी भाजपा के बीच सियासी जंग छिड़ गयी. भाजपा ने जहां इस कदम का स्वागत किया वहीं तृणमूल ने भाजपा पर संवैधानिक संस्था को नियंत्रित करने का आरोप लगाया. घोष ने विकसित भारत संपर्क’संदेश पर भी आपत्ति जताई. व्हाट्सऐप पर लोगों को संदेश भेजकर प्रधानमंत्री के एक पत्र के साथ प्रतिक्रिया और सुझाव मांगे गये हैं.
उन्होंने आरोप लगाया,आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद लाखों लोगों को व्हाट्सऐप संदेश भेजे गये. सरकार के पास उपलब्ध डेटाबेस का उपयोग एक राजनीतिक दल द्वारा कैसे किया जा रहा है? यह सरकार और भाजपा के बीच की रेखा को मिटा रहा है. भाजपा ने विपक्ष के लिए बाधा पैदा करने के खातिर सरकार पर कब्जा जमा लिया है.