Vinit Upadhyay
Ranchi: आधुनिक समय में जब हमारे समाज में संयुक्त परिवारों की लड़ी टूट रही है और एकल परिवार ही फैमिली की परिभाषा बनते जा रहे हैं, रिश्तों में दरार और पति-पत्नी में अनबन और अलगाव की घटनाओं में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है. घर की चहारदीवारी को लांघ कर अदालतों में मामले पहुंच रहे हैं, लेकिन अदालतें ऐसे ज्यादातर मामलों में मानवीय रुख अख्तियार करती हैं. उनकी कोशिश होती है कि आखिरी क्षण तक टूटते परिवार को बचाने का प्रयास किया जाये.
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11 दिसंबर तक चलेगा मध्यस्थता अभियान
रांची जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) ने एक बार फिर टूटते रिश्तों को मनाने और रूठे दिलों को जोड़ने की कोशिश शुरू की है. डालसा 7 से 11 दिसंबर तक 5 दिवसीय विशेष मध्यस्थता अभियान की शुरुआत करने जा रहा है, घर ही चाहरदीवारी से शुरू होकर अदालत की चौखट तक पहुंचे मामलों को सुलझाने की कोशिश की जा रही है. यह अभियान सिविल कोर्ट स्थित मध्यस्थता केंद्र में चलाया जा रहा है , जहां फैमिली कोर्ट सहित अन्य अदालतों में दर्ज तलाक, भरण-पोषण वाद, महिला उत्पीड़न, दहेज प्रताड़ना, अपीलीय न्यायालय में चल रही अग्रिम जमानत याचिका, जमानत याचिका आदि से संबंधित मामलों का निष्पादन मध्यस्थता के जरिये किया जायेगा.डालसा के सचिव अभिषेक कुमार ने बताया कि विशेष मध्यस्थता अभियान का आयोजन झारखंड उच्च न्यायालय फैमिली कोर्ट कमिटी ओर झालसा के निर्देश पर चलाया जा रहा है.
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200 मामलों में सुलह की कोशिश करेंगे 10 मध्यस्थ
लोगों को त्वरित न्याय देने और पारिवारिक मामलों की मध्यस्थता के लिए 10 मध्यस्थों को नामित किया गया है, जो पक्षकारों के बीच सुलह-समझौता कराकर मामलों का निष्पादन करने में महती भूमिका निभा रहे हैं. फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की अदालत के 150 से ज्यादा मुकदमों को चिन्हित किया गया है, वहीं 50 मामले वैसे हैं जो अन्य न्यायालयों से संबंधित हैं. 5 दिनों में ज्यादा से ज्यादा मामलों के निष्पादन की कोशिश की जा रही है, जिसमे मध्यस्थों की भूमिका काफी अहम होगी. ये मध्यस्थ दोनों पक्षों से बात कर उन्हें एक मंच पर लाकर विवादों का अंत करने की कोशिश करेंगे. निश्चित रूप से टूटते रिश्तों को बचाने की डालसा की यह कोशिश सराहनीय है.
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