New Delhi : कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि हर कीमत पर चंदा वसूलने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चाह के कारण चुनावी बॉन्ड योजना को आगे बढ़ाया गया. इसकी कीमत पूरे देश को चुकानी पड़ी. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आज गुरुवार को कहा कि इस मामले में हर गुजरते दिन के साथ भ्रष्टाचार और स्पष्ट होता जा रहा है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#ElectoralBondScam में चार मुख्य तरीकों से भ्रष्टाचार हुआ है। हर गुज़रते दिन के साथ ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं जिनसे भ्रष्टाचार की और अधिक स्पष्ट रूप से पुष्टि होती है। प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन से हुए इस भ्रष्टाचार ने पूरे देश को अपने चपेट में ले लिया है। भाजपा को चंदा देने…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 4, 2024
मोदी के प्रोत्साहन से हुए भ्रष्टाचार ने पूरे देश को चपेट में ले लिया
उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, चुनावी बॉन्ड मामले में चार मुख्य तरीकों से भ्रष्टाचार हुआ है. हर गुजरते दिन के साथ ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं जिनसे भ्रष्टाचार की और अधिक स्पष्ट रूप से पुष्टि होती है. रमेश ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रोत्साहन से हुए इस भ्रष्टाचार ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है. उनका कहना था, सात वर्षों (2016-17 से 2022-23) में कर अदायगी के बाद नकारात्मक या लगभग शून्य लाभ वाली 33 कंपनियों ने भाजपा को 434.2 करोड़ का चंदा दिया.
33 कंपनियों का कुल शुद्ध घाटा एक लाख करोड़ से अधिक था
इन 33 कंपनियों का कुल शुद्ध घाटा एक लाख करोड़ रुपये से अधिक था. इन 33 कंपनियों में से 16 ने कुल मिलाकर शून्य या नकारात्मक प्रत्यक्ष कर का भुगतान किया है. ऐसी आशंका है कि इन 33 कंपनियों में से अधिकतर धनशोधन के उद्देश्य से बनाई गयी शेल (फर्जी) कंपनियां हैं. रमेश ने दावा किया कि भाजपा को छह ऐसी कंपनियों द्वारा 601 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिनका 2016-17 से 2022-23 तक कुल मिलाकर सकारात्मक शुद्ध लाभ था, लेकिन उनका चुनावी बॉन्ड का चंदा उनके कुल शुद्ध लाभ से काफ़ी अधिक है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर चिंता जताई थी
उन्होंने आरोप लगाया, जब मोदी सरकार द्वारा पहली बार चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की गयी थी, तब रिजर्व बैंक ने धनशोधन के लिए इसके इस्तेमाल होने की आशंका को लेकर चिंता जताई थी. लेकिन हर क़ीमत पर चंदा हासिल करने की भाजपा की चाह ने इस दूरदर्शी सलाह पर ध्यान दिये बिना इस स्कीम को आगे बढ़ाने के लिए विवश किया और पूरे देश को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ी.
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