Ranchi : भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली रघुवर दास की सरकार के समय राज्य में सबसे ज्यादा घोटाले हुए. मोमेंटम झारखंड में 100 करोड़ के घोटाले का आरोप रघुवर सरकार पर है. इसके अलावा 400 करोड़ के लौह अयस्क, 18 करोड़ का कंबल घोटाला, 61 करोड़ का अल्पसंख्यक छात्रवृति घोटाला, टेंडर घोटाला, ऊर्जा घोटाला समेत 32 घोटाले रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहते हुए हैं. इनमें से 10 घोटाले काफी चर्चित हैं. 2014 से 2019 के अपने कार्यकाल के दौरान रघुवर दास कहते रहे कि उनकी सरकार बेदाग है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति से सरकार चल रही है. अफसरों को हड़काते और समझाते रहे. रघुवर यह समझते रहे कि ब्यूरोक्रेट्स उनके इशारे पर नाच रहे हैं. लेकिन हकीकत ये है कि रघुवर ने नहीं, बल्कि अफसरों ने उनका इस्तेमाल कर लिया और घोटालों की एक लंबी फेहरिस्त उनकी तथाकथित बेदाग सरकार पर छोड़ गये.
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1.कंबल घोटाला : झारखंड सरकार ने साल 2017-18 के दौरान गरीबों के बीच बांटने के लिए करीब 10 लाख कंबल बनाने का जिम्मा झारक्राफ्ट को सौंपा था. झारक्राफ्ट ने कंबल बुनाई के लिए पानीपत से 18.81 लाख किलो ऊनी धागा ट्रकों से मंगाने और उसकी बुनाई के बाद फिनिशिंग टच के लिए कंबलों को पानीपत भेजने के लिए कुछ कंपनियों से करार किया. एजी की रिपोर्ट के मुताबिक, झारक्राफ्ट ने 144 ट्रकों के 320 फेरे लगाने का तारीखवार दस्तावेज सौंपा था. इनमें से 318 ट्रिप फर्जी पाए गए. पानीपत से 19.93 लाख किलो ऊनी धागा मंगवाने के दावे की जांच के क्रम में एजी ने पाया कि इनमें से 18.81 लाख किलो धागा मंगाया ही नहीं गया और इसके एवज में करीब 18 करोड़ का भुगतान कर दिया गया.
2. मैनहर्ट घोटाला : यह घोटाला 2005 का है. उस वक्त रघुवर दास सीएम नहीं थे, लेकिन राज्य के नगर विकास मंत्री थे.आरोप है कि सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था. इस पर करीब 21 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ. इस मामले में एसीबी रघुवर के खिलाफ जांच कर रही है.
3. टीडीएस घोटाला : रघुवर दास के ऊर्जा विभाग ने विधानसभा में यह बात कबूली थी कि टीडीएस घोटाले में सरकार को करीब 15 करोड़ का नुकसान हुआ. ग्रामीण इलाकों में बिजली पहुंचाने के लिए करीब 8 कंपनियों को काम सौंपा गया था. कंपनियों ने तय समय पर काम खत्म नहीं किया. काम तय समय पर खत्म नहीं करने पर जुर्माने की जगह कंपनियों को रघुवर सरकार ने 15 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया.
4. मोमेंटम झारखंड घोटाला : 2017 में आयोजित मोमेंटम झारखंड पर बड़े पैमाने पर अनियमितता का आरोप है. कहा जाता है कि मोमेंटम झारखंड में बिना कैबिनेट की स्वीकृति के बजट बढ़ाकर राशि की बंदर-बांट हुई. राज्य सरकार को करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ.
5. टैब घोटाला : विद्यावाहिनी योजना के अंतर्गत रघुवर दास सरकार ने टैब की ख़रीददारी की. एक टैब की कीमत 13,504 रुपए थी. जैप आईटी के द्वारा 41,000 टैब की खरीदारी हुई, कुल खर्च करीब 56 करोड़ हुए. लेकिन, सारे टैब जिले की डीएसई कार्यालय में ही सड़ गये.
6. विधानसभा नियुक्ति घोटाला : रघुवर सरकार में विधानसभा में अवैध नियुक्ति मामला भी सामने आया है. दरअसल विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट के आधार पर दो संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी रविंद्र सिंह और रामसागर राम को जबरन सेवानिवृत्ति दी गई. इससे सरकार की काफी किरकिरी भी हुई थी.
7. विधानसभा भवन निर्माण घोटाला : 465 करोड़ की लागत से बने विधानसभा भवन को लेकर भी रघुवर सरकार पर घोटाले के आरोप लगा है. विधानसभा के इंटीरियर वर्क के हिसाब-किताब में गड़बड़ी बताकर भवन निर्माण के इंजीनियरों ने पहले तो 465 करोड़ के मूल प्राक्कलन को घटा कर 420.19 करोड़ किया. फिर 12 दिन बाद ही बिल ऑफ क्वांटिटी में निर्माण लागत 420.19 करोड़ से घटा कर 323.03 करोड़ कर दिया. टेंडर निबटारे के बाद 10 प्रतिशत कम कर 290.72 करोड़ रुपये की लागत पर रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को काम दे दिया गया.
8. छात्रवृत्ति घोटाला : 2019-20 में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने योजना के लिए 1400 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इसमें झारखंड के हिस्से आए थे 61 करोड़. जिन छात्रों के नाम से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया गया था, उन्हें उसका बस एक हिस्सा ही मिला. कई जगह वयस्कों की जानकारी को छात्रों की जानकारी दिखा कर फर्जी आवेदन भरे गए और रकम आने पर उन्हें सिर्फ उसका एक हिस्सा दे दिया गया.
9. लौह अयस्क घोटाला : पूर्व सरकार पर लौह अयस्क का खनन करनेवाली कंपनी ओएमएम को गलत तरीके से 500 करोड़ का लाभ पहुंचाने का आरोप है. विधानसभा की सामान्य प्रयोजन समिति इसकी जांच कर रही है. जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय इसके अध्यक्ष हैं.
10. ज्रेडा टेंडर घोटाला : हेमंत सोरेन के निर्देश पर 21 दिसंबर 2020 को मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. 3 सितंबर 2016 को निरंजन कुमार के ज्रेडा निदेशक बनने के बाद उनपर टेंडर समेत 170 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा.
11.फर्जी नक्सली सरेंडर घोटाला : दिग्दर्शन इंस्टीट्यूट के जरिये साल 2014 में 514 को नक्सली बताकर फर्जी तरीके से सरेंडर कराया गया था. पूरे प्रकरण में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के शामिल होने की बात भी सामने आई थी.
12. भू अर्जन घोटाला : ISM धनसार के हीरक रिंग रोड भू-अर्जन में 3.02 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई थी.
13. पुलिस विभाग टेंट घोटाला : 2016 में उंची दर पर टेंट खरीदी गई. 27 हजार रुपये प्रति टेंट की दर निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में टेंडर के जरिये 37 हजार रुपये प्रति टेंट की दर से खरीदा गया.
14. अल्पसंख्यक छात्रवृति घोटाला : रघुवर सरकार के समय प्राइवेट स्कूल, मिडिल मैन, बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट और अधिकारियों की मिलीभगत से छात्रवृति के पैसों का बंदरबांट किया गया.
15. कुर्सी घोटाला : खूंटी जिले के फुदी पंचायत में 300 रुपये की प्लास्टिक की कुरसी 600 रुपये के हिसाब से खरीदी गयी थी. सोशल ऑडिट के दौरान घोटाला पकड़ में आया. 61 कुरसियों की ढुलाई के लिए 18600 रुपये का भुगतान लिया गया.
16. मिड डे मील घोटाला : मिड डे मील में 101 करोड़ गबन के मामले में सीबीआई ने 7 दिसंबर 2017 को एफआईआर की थी. झारखंड सरकार के खाते से बिल्डर के खाते में यह राशि ट्रांसफर की गई थी.
17. इंस्युलेटर घोटाला : राज्य बिजली वितरण निगम ने 2015-2016 में 2,11,242 और वित्तीय वर्ष 2016-2017 में 1,23,781 इंस्युलेटर खरीदे. इंस्युलेटर की कीमत में बाजार कीमत के मुकाबले भारी अंतर पाया गया. 200 रुपये के इंस्युलेटर 1600 रुपये में खरीदे गये थे.
18. DWSD टेंडर घोटाला : पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 1 करोड़ 53 लाख रुपये का निविदा घोटाला उजागर हुआ था. इस घोटाले को वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में अंजाम दिया गया है.
19. फॉरेस्ट और जीएम लैंड घोटाला : 2017-18 में हजारीबाग, चतरा, रामगढ़ और बोकारो जिले में 1700 एकड़ जमीन की अवैध बंदोबस्ती कराई गई.
20. डीबीटी छात्रवृत्ति घोटाला: कल्याण विभाग में प्री मैट्रिक के अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली करोड़ों रुपए की छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़ा हुआ. चाची-दादा को 7वीं-8वीं का छात्र बता 23 करोड़ उड़ाए, योजना के लिए 2019-20 में केंद्र ने राज्य को 61 करोड़ दिये थे.
21. टैक्स घोटाला: रांची नगर निगम में 2015 में 20 लाख रुपए से अधिक के टैक्स का घोटाला हुआ था. इसकी जांच निगम की जांच कमेटी ने की थी. तीन कर्मियों पर कार्रवाई की गई थी.
22. डस्टबिन घोटाला : 2017-18 में जमशेदपुर में हुए डस्टबिन खरीद में घोटाला हुआ था. 1900 रुपये के डस्टबिन को 8230 के दर से खरीदा गया था. पूरे शहर में 3000 डस्टबिन पर 3.21 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.
23.शौचालय घोटाला : पिछली सरकार में पूरे राज्य में शौचालय घोटाला हुआ. 2018 में सिर्फ पोटका में 5 मुखिया ने मिलकर ढाई करोड़ तक का घोटाला कर लिया. इस मामले में गिरफ्तारी भी हुई.
24. जीएसटी घोटाला : 2018 में जमशेदपुर के 10 बड़े व्यवसायियों ने फर्जी प्रतिष्ठान बनाकर 37 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया था.
25. पोस्ट रिजर्वेशन सिस्टम घोटाला : रांची के जगन्नाथपुर थाना में 28 मई 2014 को पीआरएस घोटाला से संबंधित एफआईआर दर्ज की गई थी.
26. प्राक्कलन घोटाला : धनबाद नगर निगम में पिछली सरकार के समय 200 करोड़ रुपये का प्राक्कलन घोटाला हुआ था. सीएम ने इसकी जांच की मंजूरी दी है.
27. बिजली घोटाला : 2015 में दुमका, देवघर और पाकुड़ में ग्रिड सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण में 110 करोड़ का बिजली घोटाला हुआ.
28. डाकघर घोटाला : 2019 में गिरिडीह में 16 करोड़ रुपये का डाकघर घोटाला सामने आया था. गिरिडीह प्रधान डाकघर के सहायक डाकपाल शशिभूषण कुमार, निलंबित सहायक डाकपाल मो अलताफ व गिरिडीह टाउन उप डाकघर के उप डाकपाल बासुदेव दास को नामजद अभियुक्त बनाया गया था.
29. एसबीआई घोटाला : दुमका जिले के भारतीय स्टेट बैंक की शिकारीपाड़ा शाखा में 79 लाख का घोटाला 2017 में सामने आया.
30. गोड्डा डाकघर घोटाला : गोड्डा में फर्जी दस्तावेज पर डाकघर से 20 करोड़ 90 लाख 14 हज़ार 200 रुपये का गबन कर लिया गया था. सरौनी बाजार डाकघर के तत्कालीन उप डाकपाल निर्भय कुमार पर गोड्डा के मुफस्सिल थाने में 23 जनवरी 2019 को जालसाजी से संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
31. टीशर्ट और टॉफी घोटाला : 2016 में स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच टी-शर्ट वितरण में बड़ा घोटाला सामने आया है. प्रदेश के 9000 स्कूलों में टॉफी व टी-शर्ट बंटे ही नहीं और कागज पर आपूर्ति दिखा दी गयी.
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घपले और घोटाले का मास्टर माइंड I A S अधिकारी होते है। सरकार आती रहती है और जाति रहती है।रांची में बड़े बड़े मॉल बड़े बड़े होस्पिटल, बड़े बड़े होटल सहित जमीन के कारोबार में इन अधिकारियों के इन्वेस्टमेंट है। जांच पड़ताल होने पर सच्चाई उजागर हो सकती है। चौथे स्तंभ से ही संभव है।