1989 के बाद जमशेदपुर से आठ बार कुरमी प्रत्याशी ही रहे विजयी, आठ बार गैर कुरमी भी पहुंचे संसद
Kaushal Anand
Ranchi: झारखंड में जमशेदपुर सीट बहुत ही हॉट सीट के रूप में जानी जाती है. 1989 तक इस सीट पर कांग्रेस की तूती बोलती थी. मगर जमशेदपुर में 89 तक ही कांग्रेस का दबदबा रहा. इसके बाद से जमशेदपुर में झामुमो और भाजपा का ही दबदबा रहा. वैसे 19 84 से ही जमशेदपुर से कांग्रेस की नैया डूबनी शुरू हो गयी थी. मगर सन 84 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस के गोपेश्वर ने झामुमो के भारी-भरकम कुरमी नेता शैलेंद्र महतो को मात दे दी. अंतत: अंतिम बार कांग्रेस वहां सन 84 में ही जीत पायी. आजादी के बाद जमशेदपुर सीट से आठ बार कुरमी एवं आठ बार गैर कुरमी सांसद बने. जमशेदपुर में करीब 5 लाख कुरमी और 3 लाख के करीब आदिवासी मतदाता ही किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार तय करने में अहम भूमिका अदा करते हैं.
1989 में शैलेंद्र महतो ने कांग्रेस प्रत्याशी को दी मात
1989 के आम चुनाव में झामुमो ने फिर से कुरमी नेता शैलेंद्र महतो को उम्मीदवार बनाया. उन्होंने कांग्रेस के उस समय के बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे चंदन बागची को हरा दिया. इसके बाद कांग्रेस ने वहां से कभी वापसी नहीं की.
1989 के बाद आठ बार से कुरमी ही विजयी होते आए हैं
जो सिलसिला शैलेंद्र महतो से शुरू हुआ. वह केवल 2009 के आम चुनाव और 2011 के उपचुनाव में टूटा. नहीं तो 1989 के बाद वहां सबसे अधिक कुरमी प्रत्याशी ही विजयी रहे. 2019 में झामुमो ने वर्तमान सीएम चंपाई सोरेन को मैदान में उतारा. 2014 में टाटा स्टील के अधिकारी रहे निरूप मोहंती को टिकट दिया. मगर दोनों चुनाव में झामुमो की हार हुई.
2009 अर्जुन मुंडा और 2011 के उपचुनाव में गैर कुरमी रहे रहे विजयी
भाजपा ने पहली बार नया प्रयोग करते हुए पूर्व सीएम अर्जुन मुुंडा को 2009 में चुनाव मैदान में उतारा. अर्जुन मुुंडा पहली बार आदिवासी के रूप में वहां से चुनाव जीते. मगर बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री बनाए जाने के कारण सांसदी से इस्तीफा दिया और 2011 में उपचुनाव हुए. इस समय भी पूर्व आईपीएस डॉ. अजय कुमार को पूर्ववर्ती झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने मैदान में उतारा और विजयी रहे. वहीं 1996 में भाजपा ने झामुमो के शैलेंद्र महतो को हराने के लिए महाभारत के कृष्ण की भूमिका निभाने वाले नीतीश भारद्वाज को मैदान में उतारा. इन्होंने शैलेंद्र महतो को पटकनी दे दी.
सुनील महतो ने भाजपा को हैट्रिक बनाने से रोका था
2004 में झामुमो ने जमशेदपुर से सुनील महतो को प्रत्याशी बनाया. सुनील महतो ने भाजपा की आभा महतो को हैट्रिक बनाने से रोक दिया. इतना ही नहीं 1991 के बाद पुन: सुनील महतो ने यह सीट झामुमो के खाते में डाल दी. 2007 में सुनील महतो की हत्या के बाद झामुमो ने उनकी पत्नी सुमन महतो को टिकट दिया. सहानुभूति की लहर में सुमन महतो जीत दर्ज करने में सफल रहीं. इसके बाद 2009 में सुमन महतो भाजपा के अर्जुन मुंडा से हार गयीं.
आठ बार रहे कुरमी बने सांसद
झामुमो से दो बार : शैलेंद्र महतो
झामुमो से एक बार : शैलेंद्र महतो
झामुमो से एक बार : सुमन महतो
भाजपा से दो बार : आभा महतो
भाजपा से दो बार : विद्युतवरण महतो
गैर कुरमी भी रहे आठ बार विजयी
भाकपा: उदय शंकर मिश्रा
कांग्रेस: एससी प्रसाद
कांग्रेस: स्वर्ण सिंह
बीएलडी : रुद्र प्रताप षांडगी
कांग्रेस : गोपेश्वर
भाजपा : नीतीश भारद्वाज
भाजपा : अर्जुन मुंडा
झाविमो: डॉ. अजय कुमार
क्या इस बार विद्युतवरण महतो को हैट्रिक बनाने से रोक पाएगा झामुमो
कुरमी नेता विद्युत वरण महतो दो बार से भाजपा के सांसद हैं. इस बार यह सीट झामुमो के खाते में गयी है. इस बार इंडिया गठबंधन के पास विद्युत वरण महतो को हैट्रिक बनाने से रोकने का एक बड़ा कारण है. कुरमी समाज प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर भाजपा से नाराज चल रहा है. अगर ऐसे में झामुमो ने वहां पर दमदार प्रत्याशी उतारा, तो निश्चित तौर पर वह विद्युत वरण महतो को हैट्रिक बनाने से रोकने में सफल हो जाएगा.
2019 में किसे मिला कितना मत
-2019 में इस सीट पर कुल 1703279 मतदाता थे. उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बिद्युत वरण महतो को 679632 वोट हासिल हुए थे. इन्हें कुल मतदाताओं में से 39.9 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त हुआ, जबकि इस सीट पर डाले गए वोटों में से 59.39 प्रतिशत इन्हें मिला. जीत का अंतर 302090 रहा था.
-दूसरे स्थान पर रहे झामुमो प्रत्याशी चंपाई सोरेन को 377542 वोट मिले थे. जो संसदीय सीट के कुल मतदाताओं में से 22.17 प्रतिशत का समर्थन था. उन्हें कुल डाले गए वोटों में से 32.99 प्रतिशत वोट मिले थे.
2014 में किसे मिला कितना मत
– वर्ष 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान 1581665 मतदाता दर्ज थे. भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो ने कुल 464153 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्हें लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 29.35 प्रतिशत ने समर्थन दिया था, और उन्हें उस चुनाव में डाले गए वोटों में से 44.24 प्रतिशत वोट मिले थे. जीत का अंतर 99876 रहा था.
– दूसरे स्थान पर रहे थे झाविमो प्रत्याशी अजय कुुमार, जिन्हें 364277 मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सका था, जो लोकसभा सीट के कुल वोटरों का 23.03 प्रतिशत था और कुल वोटों का 34.72 प्रतिशत रहा था.
-जमशेदपुर में कुरमी करीब 5 लाख और आदिवासी 3 लाख बड़ा फैक्टर हैं. ये ही जमशेदपुर सीट में हार-जीत में अहम भूमिका अदा करते हैं.