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- खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगी व्रती
Ranchi : लोक आस्था का महापर्व चैत्री छठ 12 अप्रैल को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है. इसके अगले दिन खरना होता है. जिसे लोहंडा भी कहा जाता है. खरना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार खरना आज यानी 13 अप्रैल को है. इस दिन सूर्योदय सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर है और सूर्यास्त शाम को 06 बजकर 09 मिनट पर होगा. खरना के बाद तीसरे यानी षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी और चौथे दिन यानी सप्तमी तिथि को उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जायेगा. इसके बाद पारण के साथ चारदिवसीय महापर्व का समापन हो जायेगा.
खरना के दिन व्रती तन और मन का करती हैं शुद्धिकरण
छठ महापर्व में खरना का खास महत्व है. इस दिन व्रती दिनभर व्रत रखती है और खरना का प्रसाद बनाती हैं. शाम में पूजा के बाद प्रसाद (खीर) ग्रहण करती हैं. खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है. इसके बाद पारण के बाद ही व्रती अन्न-जल ग्रहण करती हैं. खरना में व्रती तन और मन का शुद्धिकरण करती हैं.
खरना के दिन बनता है खीर
खरना के दिन गुड़ और चावल से शुद्ध तरीके से खीर बनायी जाती है. खरना पूजा में खीर के अलावा अलग-अलग क्षेत्र की परंपरा के मुताबिक केला व अन्य चीजें भी रखी जाती हैं. इसके अलावा प्रसाद में रोटी, पूरी, गुड़ की पूरियां और मिठाइयां भी भगवान को अर्पित की जाती है. छठी मईया को भोग लगाने के बाद व्रती इसको ग्रहण करती हैं.
नये मिट्टी के चूल्हे व आम की लकड़ी में बनता है प्रसाद
खरना का प्रसाद नये मिट्टी के चूल्हे पर बनता है. लेकिन बदलते जमाने के साथ अब खीर बनाने के लिए गैस-चूल्हा का भी इस्तेमाल होने लगा है. याद रहे कि मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाने के लिए सिर्फ आम की लकड़ी का ही प्रयोग किया जाता है. इसमें दूसरे पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं होगा.
खरना का प्रसाद ग्रहण करने के ये हैं नियम
खरना के दिन जब व्रती शाम में पूजा और प्रसाद ग्रहण करते हैं, तो उस समय घर में पूरी शांति रखी जाती है. क्योंकि माना जाता है कि आवाज होने पर व्रती प्रसाद खाना बंद कर देती हैं. इस दिन घर के सभी सदस्य व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही उनसे प्रसाद लेते हैं.
छठ महापर्व चार दिनों का त्योहार
छठ का पर्व चार दिनों का होता है. यह पर्व नहाय खाय से शुरू होता है. दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम को अर्घ्य और चौथे दिन सुबह अर्घ्य देकर पारण किया जाता है. पहला अर्घ्य इस साल 14 अप्रैल को है. इस दिन इस दिन सूर्यास्त शाम 06 बजकर 10 मिनट पर होगा. 15 अप्रैल को उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जायेगा. इस दिन सूर्योदय 05 बजकर 28 मिनट पर होगा. इसके बाद पारण करके चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन होगा.
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