Ranchi: झारखंड नौतपा कहर से तप रहा है. आसमान से बरसती आग सी गर्मी से मनुष्य ही नहीं, पशु-पक्षी भी परेशान हैं. आलम यह है कि तापमान 46 के पार हो गया है. लोग गर्मी से झुलस रहे हैं. न तो घर में चैन है, न बाहर सकुन. राजधानी में गुरुवार की सुबह सात बजे से ही शरीर पसीने से भीगने लगते हैं. दिन चढ़ते धूप का प्रकोप और बढ़ता जाता है. दिन के दस बजे के बाद सड़कों पर निकलना दूभर हो गया. हालांकि शाम चार बजे के बाद आसमान में बादल छाने से थोड़ी राहत मिली. आचार्य श्रीकृष्ण के मुताबिक ऐसे मौसम को नौतपा कहा जाता है. उन्होंने बताया कि नौतपा में आंधी-बारिस होना बड़ी बात नहीं है. ऐसा होता है, पर नौतपा का प्रकोप भी बरकरार रहता है.
दो जून तक रहेगा प्रकोप
आचार्य अजय मिश्रा ने बताया कि नौतपा 25 मई से शुरू हुआ है, इसका प्रकोप दो जून तक रहेगा. जैसे-जैसे दिन गुजरेंगे तापमान में भी बढ़ोतरी होती जायेगी. उन्होंने बताया कि इस दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है. इससे सूर्य की किरणें सीधा पृथ्वी पर पड़ती है. जिस कारण लोगों को तेज धूप का सामना करना पड़ता है. प्रचंड गर्मी से इन दिनो लोगों बाहर निकलने से कतरा रहे है. सड़को पर राहगिरो की संख्या आम दिनो की अपेक्षा काफी कम हो गयी है. जरूरी काम से जो बाहर निकल रहे हैं, उन्हें उमस और लू के थपेड़े ने काफी परेशान किया. दोपहर में चली गर्म हवाओं ने हालत और खराब कर दी. गर्मी अधिक होनेे से लोगों को आंखों में जलन महसूस हुई. शाम छह बजे तक ऐसे ही हालात बने रहे. सांझ ढलने के बाद भी उमस भरी गर्मी से हाल बेहाल रहा.
नौतपा के हैं कई फायदे भी
आचार्य अजय मिश्रा ने बताया कि नौतपा के कई फायदे भी बताये जाते हैं. इससे सांप-बिच्छू और चूहे पर नियंत्रण रहता है.फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट और टिड्डियों के अंडे नष्ट हो जाते हैं. बुखार लाने वाले जीवाणु का भी खात्मा हो जाता है. आंधी का प्रकोप भी नहीं रहता. नौतपा के बाद अच्छी बारिस होती है, जो खेती-बाड़ी में सहायक होती है.