Ranchi: रांची विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को रांची विश्वविद्यालय के कुलपति अजीत कुमार सिन्हा से वार्ता की. प्रतिनिधिमंडल ने अपने पिछले 13 महीने से नहीं मिल रहे वेतन को लेकर वार्ता की. जिस पर कुलपति ने त्वरित कार्रवाई करते हुए रजिस्ट्रार ऑफिस के माध्यम से सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों को निर्देश दिलाया कि जल्द से जल्द अतिथि शिक्षकों से संबंधित बकाया मानदेय की जानकारी उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा कि दो दिनों के अंदर मैं स्वयं आप सभी लोगों का दस्तावेज लेकर एचआरडी जाऊंगा और 10 दिनों के अंदर सभी लोगों के वेतन का भुगतान करा दिया जाएगा. वहीं शिक्षकों ने कुलपति को पिछले दिन बहुउद्देशीय भवन में कुछ अतिथि शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार तथा भेदभाव करने की जानकारी दी. जहां इन शिक्षकों को सभी स्थायी शिक्षकों के बीच से बेइज्जत कर उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन कार्य से निकाल दिया गया था, जबकि यही शिक्षक पिछले सात आठ वर्षो से विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी के समय विश्वविद्यालय की सेवा करते आए हैं. जिस पर कुलपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय स्तर पर बहुत ही निंदनीय घटना है. विश्वविद्यालय सभी शिक्षकों का सम्मान करती है. भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं घटेगी, इसके लिए आप लोग निश्चिंत रहें और विश्वविद्यालय द्वारा अतिथि शिक्षकों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा.
इस पर संघ के सदस्य कुलपति को धन्यवाद देकर अपने-अपने कार्यस्थल वापस चले गए. वार्ता के लिए सिमडेगा कॉलेज, बीएस कॉलेज लोहरदगा, केओ कॉलेज गुमला, बेड़ो कॉलेज, मांडर कॉलेज, राम लखन सिंह यादव कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज, डोरंडा कॉलेज, एसएस मेमोरियल महाविद्यालय तथा सभी मॉडल कॉलेज के अनेक शिक्षक रांची विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे थे. ज्ञातव्य है कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग झारखंड सरकार के निर्देशन द्वारा इन अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति रांची विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों तथा स्नातकोत्तर विभागों में वर्ष 2015-16 से शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कार्यों के लिए की गई है. जब विश्वविद्यालय में स्थायी शिक्षकों कमी थी तो इन्हीं के द्वारा विश्वविद्यालय में पठन-पाठन सुचारू रूप से संचालित हो रहे थे और वर्तमान में भी कई महाविद्यालय मुख्य रूप से मॉडल कॉलेज तथा कई विभाग इन्हीं शिक्षकों के द्वारा संचालित किया जा रहे हैं. ये पिछले कई वर्षों से मांग भी कर रहे हैं, कि आवश्यकता आधारित शिक्षकों के अनुरूप ही समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए. जो कि अभी तक इनके लिए लागू नहीं किया गया है.
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