बाबूलाल ने राज्य सरकार से एसआईटी गठित कर जांच कराने की मांग की
1951 से 2011 के बीच मुस्लिम आबादी में हुई अप्रत्याशित वृद्धि
आदिवासियों की आबादी 16 फीसदी घटी
Ranchi : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी रविवार को संथाल परगना की उपराजधानी दुमका में हूल क्रांति के वीर शहीद सिदो कान्हु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मरांडी ने कहा 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दो वर्ष पूर्व ही संथाल परगना की धरती से अमर शहीद सिदो कान्हु के नेतृत्व में अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ हजारों जनजाति भाई-बहनों ने संघर्ष किया. बलिदान दिये, जो हुल के नाम से प्रसिद्ध है.
हुल के कारण ही एसपीटी-सीएनटी जैसे कानून बने
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हुल के कारण ही आदिवासियों के जल जंगल जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए एसपीटी व सीएनटी जैसे कानून बने. आज संथाल परगना की संस्कृति खतरे में है. मरांडी ने आदिवासियों की तेज गति से घटती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 1951 से लेकर 2011 की जनगणना के बीच आबादी का विश्लेषण करें तो भयावह तथ्य उजागर होते हैं. 1951 में आदिवासियों की आबादी 44.69% थी, जो 2011 में 16% घटकर 28.11% हो गयी. जबकि मुस्लिम आबादी इस बीच 9.44% से बढ़कर 22.73% हो गयी. शेष समुदाय की आबादी 43% से बढ़कर 49% हो गयी. अगर इसी प्रकार जनजाति समाज की आबादी घटती रही तो आजादी के 100 साल और हुल आंदोलन के लगभग 200 साल पूरा होते-होते संथाल जनजाति समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा.
बद से बदतर होती जा रही स्थिति
मरांडी कहा कि संथाल परगना के साहेबगंज और पाकुड़ जिला की स्थिति तो बद से बदतर होती जा रही. जनजातियों के जल जंगल जमीन की सुरक्षा के कानून तो मौजूद हैं. लेकिन उनका अस्तित्व पूरी तरह खतरे में है. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि इसकी जमीनी स्तर पर गहराई से जांच होनी चाहिए. राज्य सरकार से इस संबध में एसआईटी गठित कर जांच कराने की मांग की.