NewDelhi : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान( एम्स) के संयुक्त अध्ययन से जानकारी सामने आयी है कि कोविड की तीसरी लहर बच्चों के लिए अधिक खतरा पैदा नहीं करेगी. सिरोप्रेवलेंस अध्ययन से पता चला है कि SARS-CoV-2 सिरो-पॉजिटिविटी दर बच्चों में अधिक है और वयस्क आबादी के बराबर है. बताया गया कि कोविड की दूसरी लहर में बच्चों में संक्रमण दर बहुत ज्यादा पायी गयी है.
बड़ों और बच्चों में संक्रमण दर लगभग बराबर रही है. एम्स की सीरो सर्वे की स्टडी में इसका खुलासा हुआ है. पहली बार सीरो सर्वे में बच्चों को शामिल किया गया है. इस सर्वे के आधार पर एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि नतीजे दर्शा रहे हैं कि बच्चों में भी संक्रमण बहुत ज्यादा है और अगर तीसरी लहर आती है, तो उन्हें ज्यादा खतरा नहीं होना चाहिए. अगर वायरस में बहुत ज्यादा म्यूटेशन होता है, तब न केवल बच्चे, बल्कि बड़ों में भी उतना ही खतरा है.
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सर्वे में कुल 4509 लोगों ने हिस्सा लिया
खबर है कि इस सर्वे में कुल 4509 लोगों ने हिस्सा लिया था. इसमें 3809 वयस्क और 700 बच्चे शामिल थे. बुजुर्गों में पॉजिटिव दर 63.5 फीसदी दर्ज की गयी और बच्चों में यह 55.7 फीसदी पायी गयी. स्टडी करने वाले एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के डॉक्टर पुनीत मिश्रा के अनुसार यह आंकड़ा बताता है कि जितना बड़ों में संक्रमण पाया गया, लगभग उतना ही बच्चों में भी पाया गया.
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जिस स्तर पर बड़ों में संक्रमण है, लगभग उतनी ही संख्या में बच्चे भी संक्रमित हुए हैं
डॉक्टर पुनीत मिश्रा ने कहा कि जिस प्रकार की रिपोर्ट आयी है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि अगर भविष्य में कोई तीसरी लहर आती है तो बच्चों पर इसका असर प्रतिकूल होगा. बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. क्योंकि जिस स्तर पर बड़ों में संक्रमण है, लगभग उतनी ही संख्या में बच्चे भी संक्रमित हुए हैं. डॉक्टर पुनीत ने कहा कि अगर वायरस में बहुत ज्यादा म्यूटेशन होता है, तब बच्चे ही नहीं बड़ों को भी उतना ही खतरा है.
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दिल्ली के भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में बच्चों में पहले से ही उच्च प्रसार है
डॉ मिश्रा ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर (फरीदाबाद) के इन क्षेत्रों में तीव्र दूसरी लहर के बाद अधिक सेरोप्रवलेंस हो सकता है. संभवतः, सीरोप्रवलेंस के यह स्तर किसी भी तीसरी लहर के खिलाफ सुरक्षात्मक हो सकते हैं. कहा गया कि दिल्ली के भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में, चूंकि बच्चों में पहले से ही उच्च प्रसार है, स्कूल खोलना, आखिरकार बहुत जोखिम भरा प्रस्ताव नहीं हो सकता. सर्वेक्षण के अनुसार दूसरी लहर के दौरान, फरीदाबाद (ग्रामीण क्षेत्र) के एनसीआर क्षेत्र में 59.3 प्रतिशत व्यापकता रही.( दोनों आयु समूहों में लगभग समान) यह पिछले राष्ट्रीय सर्वेक्षणों की तुलना में उच्च माना जा सकता है.
सर्वेक्षण ने स्थापित किया कि ग्रामीण क्षेत्र ज्यादातर प्रभावित हुए हैं
गोरखपुर ग्रामीण ने 2-18 वर्ष के आयु वर्ग में 87.9 प्रतिशत की अत्यधिक उच्च व्यापकता दिखाई (80.6 प्रतिशत और 18 वर्ष से अधिक 90.3 प्रतिशत के साथ) इन स्तरों के तीसरी लहर से बचने की संभावना जताई गयी. सर्वेक्षण ने स्थापित किया कि ग्रामीण क्षेत्र ज्यादातर प्रभावित हुए हैं, जिसका अर्थ है कि झुंड प्रतिरक्षा की अधिक संभावना है. दिल्ली और उत्तर प्रदेश दोनों में कोविड -19 मामलों में त्वरित चोटियों और तेज गिरावट को इन निष्कर्षों से आंशिक रूप से समझाया जा सकता है.
कुल मिलाकर, सर्वेक्षण में शामिल ग्रामीण आबादी के आधे से अधिक (62.3 प्रतिशत) ने पिछले संक्रमण के सबूत दिखाये. अगरतला ग्रामीण साइट ने सबसे कम 51.9 प्रतिशत सेरोप्रवलेंस दिखाया. ऐसा शायद इसलिए था क्योंकि इसमें कुछ आदिवासी आबादी भी शामिल थी, जिनकी आम तौर पर गतिशीलता कम होती है, जो कोविड -19 संक्रमण की कम भेद्यता में तब्दील हो जाती है.
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