Ranchi: हेमंत सोरेन सरकार पर राज्य के किसानों की अनदेखी करने के आरोप लगा कर प्रदेश बीजेपी के नेता अब आंदोलन के मूड में हैं. शुक्रवार को बीजेपी नेताओं ने खेतों में जाकर सरकार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किया. वहीं सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे नौटंकी करार दिया है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि जो नेता खेत लूटने का काम करते हैं, किसानी को कॉरपोरेट के हाथों देने के काम करते हैं, वहीं आज एक अजीबोगरीब राजनीतिक कार्यक्रम कर रहे हैं. ऐसे नेता यह भूल गए हैं कि महज डेढ़ साल पहले 5 वर्षों के लिए वह सत्ता में थी. पांच सालों के शासन काल में और 7 वर्षों के केंद्र सरकार के कार्यकाल में किसानों-किसानी को लेकर जिस प्रकार से नीतियां तय की गई है, उसमें किसान कहीं भी नहीं है. उनकी नीतियों में किसानों की जगह कॉरपोरेट जगत है.
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सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पूरा देश जानता है कि देश के अन्नदाताओं का आंदोलन 9 माह से एक आंदोलन पार्लियामेंट से महज 20 किलोमीटर में चल रहा है. यह आंदोलन केंद्र सरकार द्वारा जबरन पारित किए गए तीन डेथ वारंट को लेकर है. इस डेथ वारंट में किसानों के खेत समाप्त करना, उनके भूमि पर कॉरपोरेट जगत का कब्जा और उनके अनाज पर दखल देने का काम किया गया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा में 17 सितंबर 2020 को और राज्यसभा में 2 सितंबर 2020 को यह कानून पास किया था. भाजपा के लोग आज मुंह छुपाने के लिए खेतों में जा रहे हैं.
जेएमएम नेता ने कहा, रघुवर दास सरकार के दौरान 2017-18 और 2018-19 के दौरान 40 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया था, उसके एवज में 17-18 में मात्र 21 लाख और 18-19 में 22 लाख धान का खरीदा गया था. यानी टारगेट का महज 53%. वहीं हेमंत सरकार ने 2020-21 में 24 जिलों में दो हिस्सों में बांट कर धानखरीदने का काम किया. 3 जिले चतरा पलामू गड़वा में वहां FCI के माध्यम से धान खरीदने की व्यवस्था की गई. जिसका लक्ष्य 16 लाख क्विंटल रखा गया. उसके एवज में सरकार ने 16.40 लाख क्विंटल धान की खरीद की. मतलब 102% ज्यादा की धान खरीद की गई. है वहीं बचे अन्य 21 जिले में जहां JSFC के द्वारा 44.50 लाख क्विंटल धान खरीद रखा गया, सरकार ने 46 लाख 1000 क्विंटल धान की खरीद की गई. मतलब यहां पर भी 102% से ज्यादा धान राज्य सरकार ने खरीदा है.
भाजपा के किये विरोध-प्रदर्शन का जवाब जेएमएम ने आकंड़ो के माध्यम से भी दिया है. पार्टी ने पूछा है कि अति उत्साही बीजेपी नेतागण बताएं, क्यों उनकी सरकार में किसानों से जानबूझकर कम धान खरीदा जाता था?. हेमंत सरकार तो विकट कोरोना काल में भी रिकॉर्ड धान प्राप्ति कर भुगतान कर रही है, जो निरंतर जारी है. जेएमएम ने कहा है कि काले कृषि क़ानून पर चुप रहने वाले भाजपाइयों, अन्नदाताओं का मजाक तो मत उड़ाओ.
झारखंड में सरकार द्वारा वर्षवार धान प्राप्ति
वर्ष किसान टर्नड आउट (संख्या में) धान प्राप्ति (क्विटंल में) भुगतान किया गया (करोड़ रुपये में)
2016-17 32603 2071372 304
2017-18 34394 2125820 360.1
2018-19 34190 2273711 429.3
2019-20 52486 3794676 758.7
2020-21 102492 6250600 755.8