- रोजगार नहीं मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा- सिंगराई कच्छप
Kiriburu (Shailesh Singh): आदर्श श्रमिक स्वावलम्बी सहकारी समिति लिमिटेड, चिड़िया के दर्जनों बेरोजगार सदस्य 26 अगस्त से सप्लाई में रोजगार एवं एनएसआईपीएल में काम कर रहे लोगों की सूची उनके स्थायी पता जारी करने को लेकर सेल, चिड़िया खदान के जेनरल ऑफिस के सामने धरना दे रहे हैं. बुधवार को धरना का 10वां दिन है. इसके बावजूद प्रबंधन मांगों पर विचार तक नहीं कर रहा है. आंदोलन स्थल पर ही बेरोजगार खाना बनाते व खाते हैं. आंदोलन कर रहे बेरोजगारों को स्थानीय लोग चावल, दाल, सब्जी आदि देकर मदद करते हैं.
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समिति के सचिव सिंगराई कच्छप ने कहा कि इन मांगों को लेकर वर्ष 2011 से चार बार आर्थिक नाकेबंदी, पांच बार भूख हड़ताल के अलावे इस बार अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है. हर बार प्रशासन व प्रबंधन आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त करा देता था. 30 अगस्त को प्रबंधन ने आंदोलनकारियों को वार्ता हेतु बुलाया था, लेकिन अंदर महाप्रबंधक रविरंजन ने जेल भेजने की धमकी देते हुये आंदोलन समाप्त करने की बात कही. उन्होंने कहा कि तुम्हारे लाख बुलाने पर सांसद जोबा माझी त्रिपक्षीय वार्ता हेतु यहां नहीं आयेंगी. प्रबंधन पीछे दरवाजे से माइनिंग मेट की बहाली बाहर से कराकर मंगाती है और खदान में उससे काम न लेकर ऑफिस में ही बैठाकर अलग-अलग विभाग का काम कराती है. चिड़िया खदान में पहले मजदूर मैनुअल पत्थर तोड़ते थे. अभी मैनुअल कार्य को बंद कर दिया गया है. मशीन से सारा उत्पादन कार्य प्राईवेट ठेका कंपनी एनएसआईपीएल द्वारा किया जा रहा है. खदान में मशीनीकरण एवं प्राईवेट ठेका कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए ही मजदूरों को भारी पैमाने पर हटाया गया है. एनएसआईपीएल 60 से 70 बाहरी लोगों को यहाँ लाकर काम करा रही है, जबकि यह खदान पहले से हैंड माइनिंग था.
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उल्लेखनीय है कि चिड़िया खदान में वर्ष 1991 में अंतिम बहाली स्थायी व सप्लाई मजदूरों का हुआ था. 16 बेरोजगारों को स्थायी नौकरी मिला था. लगभग 181 बेरोजगारों को सप्लाई मजदूर के रुप में रखा गया था. वर्ष 2017 में 18 बेरोजगारों को कैजुअल में रोजगार मिला था. वर्ष 2020-21 तक चिड़िया खदान में 600 मजदूर ठेकेदार के अन्तर्गत कार्यरत थे. इसके अतिरिक्त दिन-प्रतिदिन सहायता कार्य हेतु विभिन्न विभागों में कुल 160 सप्लाई/ठेका मजदूर कार्यरत थे, लेकिन अभी घटकर 252 है. स्थायी सेलकर्मी 43 एवं सेल अधिकारियों की संख्या 12 है. पूर्व के समझौते अनुसार इस खदान में बतौर ठेका मजदूर 378 को रखना है. बताया जा रहा है कि एनएसपीएल एक साजिश के तहत स्थानीय मजदूरों का आधार, बैंक खाते में गड़बड़ी आदि की बात कह कार्य में नहीं रख रही है. दूसरी ओर, आरएलसी ने भी सख्त निर्देश दे रखा है कि 378 ठेका मजदूरों को पूर्व के समझौता के आधार पर रखना है. इसमें वही मजदूरों को रखने का प्रावधान है जो वर्षों से खदान में हैंड माईनिंग करते थे, जिसे विभिन्न कारणों से बैठाया गया है. चिड़िया प्रबंधन व ठेकेदार अगर ईमानदारी से काम करती तो प्रखंड प्रशासन से आग्रह कर ऐसे मजदूरों का आधार व बैंक खाता में व्याप्त त्रुटियों को विशेष कैंप लगातार एक दिन में ठीक करा सकती है. लेकिन ऐसा नहीं करने से सेल व ठेकेदार को भारी लाभ मिल रहा है.
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चिड़िया प्रबंधन का कहना है कि आपकी मांगों को पूरा कर पाना संभव नहीं है. क्योंकि यह खदान बुरे दौर से गुजर रही है. खदान का उत्पादन लागत भी काफी बढ़ गया है. 25 फीसदी मैन पावर को कम करने का निर्देश सेल से प्राप्त हुआ है. लेकिन यहां के मजदूरों काीआर्थिक स्थिति को देखते हुये इसे लागू नहीं किया गया है. जिला परिषद उपाध्यक्ष रंजीत यादव ने कहा कि समिति के बेरोजगारों की मांग जायज है. हमने सांसद व जिले के सभी विधायकों को मामले की जानकारी दे चुके हैं. सांसद के बारे में महाप्रबंधक गलत बातें कर रहे हैं. बेरोजगारों की समस्या का समाधान हेतु हम सभी गंभीर हैं.
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