Ranchi : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का 41वां स्थापना दिवस समारोह ऑनलाइन मनाया जाएगा. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ आरसी अग्रवाल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे जबकि कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह अध्यक्षता करेंगे. समारोह पूर्वाहन 10:30 बजे प्रारंभ होगा.
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टॉपरों को किया जायेगा पुरस्कृत
कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ एमएस यादव ने बताया कि इस अवसर पर आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डॉ सोहन राम को विश्वविद्यालय के सर्वोत्तम वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया जाएगा. साथ ही स्नातक पाठ्यक्रम में कृषि संकाय के टॉपर आयुष लाल दास, पशु चिकित्सा संकाय की टॉपर निकिता सिंह और वानिकी संकाय की टॉपर अंशु कुमारी को भी उनके अकादमिक प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया जाएगा.
निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है
इसी प्रकार देश के अग्रणी प्रबंधन संस्थानों में प्रवेश पानेवाले कृषि महाविद्यालय के पांच छात्र छात्राओं- अर्पिता चौधरी (आईआईएम, रोहतक), साक्षी सुमन (एक्सएलआरआई, जमशेदपुर), जागृति कुमारी (इरमा, आनंद) तथा राहुल प्रसाद एवं जोशी खलखो (राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान, जयपुर) को पुरस्कृत किया जाएगा. रॉयल वेटनरी कॉलेज, लंदन विश्वविद्यालय में मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश पानेवाली बीएयू की पशुचिकित्सा स्नातक निकिता सिंह को भी सम्मानित किया जाएगा. सम्मानित किये जानेवालों की सूची में तीनों संकायों के एक-एक सफाईकर्मी तथा कीटविज्ञान विभाग के क्षेत्र अधिदर्शक बाबूलाल सिंह शामिल हैं.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों के लिए ‘वर्क एथिक्स एंड वैल्यू सिस्टम’ विषय पर तथा शिक्षकेतर कर्मियों के लिए ‘मोटिवेशन एंड जॉब परफॉर्मेंस’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है, जिनके विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा.
छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया जाएगा
रांची कृषि महाविद्यालय एवं जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रांची पशुचिकित्सा महाविद्यालय, वानिकी महाविद्यालय, रांची, कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय, रांची कृषि महाविद्यालय, गढ़वा, तिलकामांझी कृषि महाविद्यालय, गोड्डा, रवींद्र नाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय, देवघर, फूलो झानो दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, हंसडीहा, दुमका, मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय, गुमला तथा बागवानी महाविद्यालय, खूंटपानी, पश्चिमी सिंहभूम के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग विषयों पर निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है. प्रत्येक महाविद्यालय से 3 सर्वोत्तम निबंध लिखने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया जाएगा.
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सुरक्षा संबंधी नारा एवं पोस्टर प्रतियोगिता का होगा आयोजन
इनके अलावे सड़क सुरक्षा संबंधी नारा एवं पोस्टर प्रतियोगिता तथा कोविड जागरूकता संबंधी नारा एवं लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता में विजयी 10 कॉलेजों के लगभग सवा सौ एनएसएस वॉलिंटियर्स को भी पुरस्कृत किया जाएगा.
पिछले चार दशकों में इनकी संख्या बढ़कर 11 हो गई
छोटानागपुर एवं संथालपरगना की विशेष कृषि-मौसम परिस्थितियों के मद्देनजर तत्कालीन राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर बिहार से अलग कर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना 40 वर्ष पूर्व की गई थी, जिसका विधिवत उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जून, 1981 को किया गया था. स्थापना काल के समय बीएयू के अंतर्गत केवल तीन कॉलेज थे- कृषि, पशुचिकित्सा एवं वानिकी महाविद्यालय. पिछले चार दशकों में इनकी संख्या बढ़कर 11 हो गई है. इनके अतिरिक्त क्षेत्र विशेष की समस्याओं, जरूरतों एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप शोधकार्य को गति प्रदान करने के लिए बीएयू के अंतर्गत दुमका, दारिसाई (पूर्वी सिंहभूम) एवं चियांकी (पलामू) में 3 क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र तथा 16 जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र कार्यरत हैं. झारखंड को गुणवत्तायुक्त बीजों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से गौरियाकरमा (हजारीबाग) में बीज उत्पादन, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र कार्यरत है.
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इसकी उत्पादन क्षमता देशी नस्ल की तुलना में तीनगुनी अधिक है
सतत अनुसंधान के परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा झारखंड की परिस्थितियों में बेहतर उत्पादन देने वाली, कम पानी में भी अच्छा प्रदर्शन करनेवाली, रोगों एवं कीड़ों के प्रति सहिष्णु चावल, मक्का, मड़ुवा, गुंदली, अरहर, उड़द, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, तीसी, सरसों आदि फसलों की 40 से अधिक उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, जिन्हें राज्य स्तर पर या राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज किया गया है. यहां के पशु वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सूअर नस्ल झारसूक (टी×डी) की मांग पूरे देश के जनजातीय एवं पहाड़ी क्षेत्रों में है क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता देशी नस्ल की तुलना में तीनगुनी अधिक है. यहां विकसित कुक्कुट की नस्ल झारसीम बैकयार्ड पोल्ट्री एवं अंडा उत्पादन के लिए बहुत उपयोगी साबित हुई है. झारखंड की ग्रामीण परिस्थितियों के लिए यह मुर्गी नस्ल काफी अनुकूल है और इनकी देखरेख और पालन पर विशेष खर्च भी नहीं होता. इसी प्रकार कृषि अभियंत्रण विभाग द्वारा राज्य के लिए कम लागत वाले 11 छोटे कृषि उपकरणों का विकास कर उन्हें उद्योगों द्वारा व्यावसायिक उत्पादन के लिए रिलीज किया गया है. पौधा संरक्षण, फसल प्रबंधन तथा मिट्टी एवं जल प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण किसानोपयोगी प्रौद्योगिकी का विकास कर किसानों के बीच उनका प्रसार किया गया है. वानिकी, बागवानी, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन, जैवप्रौद्योगिकी, मशरूम उत्पादन से जुड़े वैज्ञानिकों ने भी किसानों के हित में पैकेज आफ प्रैक्टिसेज का विकास किया है, जिनके प्रयोग से किसानों की आय एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है.
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