- कोल्हान के भाजपा नेताओं में टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति
- घाटशिला से लक्ष्मण को टिकट पर भी संशय, बाबूलाल सोरेन हैं दावेदार
Adityapur (Sanjeev Mehta) : कोल्हान में भाजपा आलाकमान को टिकटों के बंटवारे में खासा माथापच्ची करनी पड़ रही है. एक तरफ तो सरायकेला से चंपाई सोरेन को टिकट मिलना तय है लेकिन खरसावां से कौन उम्मीदवार होगा यह तय नहीं है. दो बार के प्रत्याशी रहे गणेश महाली ने चंपाई सोरेन के भाजपा में आने के बाद खरसावां से दावा ठोका है. लेकिन खरसावां से पहले से ही टिकट की दावेदारी करने वालों की लंबी फेहरिस्त है. ऐसे में भाजपा नेताओं में टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
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वहीं झामुमो से टिकट की आस में भाजपा में आए रमेश हांसदा क्या करेंगे यह तय नहीं है. इधर घाटशिला से भी लक्ष्मण टुडू को टिकट मिलने पर भी असमंजस स्थिति है, पिछली बार उनकी सीटिंग विधायकी होने के बावजूद टिकट कट गई थी और भाजपा को यह सीट गंवानी पड़ी थी. इस बार भी चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन घाटशिला से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पर भगवा रंग चढ़ने से अब उनके करीबी रहे झामुमो नेताओं में भी असमंजस की स्थिति है. उनके पास या तो खुद भी भाजपा में जाने का विकल्प है या फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा में बने रहने का, लेकिन इन सबके बीच इस बात की भी आशंका उन्हें सता रही है कि झामुमो में रहने पर कहीं उन्हें चंपाई के करीबी होने का टैग पार्टी में अलग-थलग न कर दे. ऐसे में अभी उनके करीबी वेट एंड वॉच की स्थिति में बने हुए हैं.
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सरायकेला का बदलेगा सियासी समीकरण
चंपाई सोरेन के भाजपा में जाने से पूरे कोल्हान का सियासी समीकरण तो बदला ही, सरायकेला सीट का राजनीतिक गणित सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है. इस विधानसभा सीट से चंपाई सोरेन झामुमो में रहते पिछले चार विधानसभा चुनाव से लगातार जीत रहे हैं, हालांकि यहां वे कभी बड़े अंतर से चुनाव नहीं जीत पाए हैं. भाजपा के गणेश महाली दो विधानसभा चुनाव में चंपाई के लिए बड़ी चुनौती बने रहे. वर्ष 2014 के चुनाव में चंपाई यहां महज 1115 वोटों से महाली से चुनाव जीते थे, 2019 के चुनाव में अंतर बढ़ा, लेकिन इतना नहीं कि आसान जीत कहा जा सके. इस चुनाव में चंपाई ने 15667 की लीड से गणेश महाली को हराया था. अब चंपाई के भाजपा में जाने से परिस्थितियां बदल गई है. इससे कहा जा रहा है कि अपने राजनीतिक जीवन में चंपाई ने जिन भाजपा नेताओं के खिलाफ प्रचार किया और चुनाव में हराया, उन्हें ही अपनी राजनीतिक गाड़ी बढ़ाने को सारथी बनाना होगा. इनमें गणेश महाली से लेकर लक्ष्मण टुडू जैसे नाम शामिल होंगे. बता दें कि वर्ष 2009 में भाजपा के लक्ष्मण टुडू से चंपाई 3246 वोट से जीते थे तो 2005 में लक्ष्मण टुडू से ही महज 882 वोट के अंतर से जीते थे.
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चंपाई के जाने से फर्क नहीं पड़ेगा : डॉ शुभेंदु
झामुमो सरायकेला के जिला अध्यक्ष डॉ. शुभेंदु महतो का कहना है कि झारखंड में झामुमो प्रशिक्षण संस्थान है, जो अपने यहां नेता तैयार करती है. इसलिए किसी भी नेता के पार्टी छोड़ने पर झामुमो को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है.
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चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे भाजपा नेता होंगे असहज
सरायकेला सीट से चुनाव लड़ने के लिए तीन भाजपा नेता जमीन तैयार करने में दिन रात जुटे थे. इनमें दो बार भाजपा प्रत्याशी रहे गणेश महाली समेत रमेश हांसदा व लक्ष्मण टुडू शामिल हैं. रमेश पहले झामुमो में ही थे. झामुमो के जिलाध्यक्ष भी रहे, लेकिन चंपाई से अदावत के कारण रमेश झामुमो छोड़ भाजपा इसी लक्ष्य के साथ आए थे कि सरायकेला से चंपाई को हराकर ही दम लेंगे. अब चंपाई के भाजपा में आने से स्थिति अलग हो गई है. लक्ष्मण टुडू भी यहां दावेदारी की तैयारी में थे, क्योंकि वे सरायकेला से दो बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. बता दें कि सरायकेला में लोकसभा चुनाव में मतों का गणित बदल गया था. झामुमो की सिंहभूम से उम्मीदवार जोबा माझी सरायकेला विधानसभा सीट से भाजपा की गीता कोड़ा से 20285 वोटों से पिछड़ गई थीं. वह भी तब जब राज्य में झामुमो की सरकार में खुद चंपाई सोरेन मुख्यमंत्री थे. सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से चंपाई सोरेन अपनी लोकसभा प्रत्याशी को बढ़त नहीं दिला सके. उस समय सरायकेला में भाजपा उम्मीदवार गीता कोड़ा को 1 लाख 18 हजार 773 मत मिले, जबकि इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को 98 हजार 488 मत मिले थे.
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