Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा के छोटानागरा पंचायत स्थित छोटानागरा गांव और झाड़बेड़ा गांव के दो बच्चों की मौत इलाज के अभाव में हो गयी. छोटानागरा गांव के धर्मरगुटू निवासी अमित हंसदा के चार वर्षीय पुत्र रेयांस हंसदा की मौत 3 नवंबर और झाड़बेड़ा गांव निवासी पायकेरा केराई के तीन वर्षीय पुत्र की मौत 4 नवंबर की शाम में हो गयी. इस घटना से दोनों परिवारों व ग्रामीणों में आक्रोश है. जानकारी के अनुसार, दोनों बच्चों को बुखार आने के बाद छोटानागरा के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया था. लेकिन अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने के कारण दोनों बच्चों का इलाज ठीक से नहीं हो सका. एक बच्चे की मौत तो उसी अस्पताल में हो गयी. वहीं दूसरे बच्चे ने मनोहरपुर सीएचसी ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया.
छोटानागरा अस्पताल में डॉक्टर नहीं, नहीं हो पाया सही इलाज
छोटानागरा पंचायत के धर्मरगुटू के ग्रामीणों ने बताया कि बच्चे को बुखार आ रहा था. उसे छोटानागरा के सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया. लेकिन यहां कोई डॉक्टर नहीं था. एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफरी) ने जांच कर जरूरी दवाइयां दी. लेकिन बच्चे की तबियत और खराब होने लगी. इसके बाद परिजन जैसे-तैसे प्राइवेट वाहन की व्यवस्था कर बच्चे को मनोहरपुर सीएचसी ले जा रहे थे, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चे ने दम तोड़ दिया. परिजन बच्चे को लेकर मनोहरपुर सीएचसी पहुंचे तो चिकित्सकों ने जांच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया.
एक मात्र अस्पताल चिकित्सक विहिन, एएनएम के भरोसे होता है हजारों मरीजों का इलाज
ग्रामीणों ने बताया कि सारंडा के छोटानागरा में स्थित एक मात्र अस्पताल चिकित्सक विहिन है. यहां एएनएम के भरोसे हजारों मरीजों का इलाज होता है. इस अस्पताल में दवाइयां भी नहीं रहती. एएनएम प्राइवेट मेडिकल स्टोर से कभी-कभी दवाइयां खरीदकर मरीजों को देते हैं. अस्पताल में एंबुलेंस भी नहीं है. जबकि सारंडा क्षेत्र स्थित सेल व टाटा स्टील के खदानों से क्षेत्र के विकास के लिए डीएमएफटी में करोड़ों रुपये दिये जाते हैं. लेकिन यहां के लोगों को बेहतर चिकित्सा, शुद्ध पेयजल, गुणवता पूर्ण शिक्षा आदि नहीं मिलता. तमाम सरकारें व जनप्रतिनिधि सारंडा को पूरी तरह नजर अंदाज करते आ रहे हैं.
डॉक्टर ने दी थी दवाई, लेकिन शाम में बच्चे की हो गयी मौत
झाड़बेड़ा गांव निवासी मंगरा ने बताया कि बच्चे को बुखार आ रहा था. परिजन 4 नवंबर की सुबह करीब 10 बजे छोटानागरा स्थित सरकारी अस्पताल ले गये. जांच के दौरान वह मलेरिया से ग्रसित पाया गया. इसके बाद डॉक्टर ने जरूरी दवाइयां दी. लेकिन चार उसी दिन शाम करीब चार बजे बच्चे की मौत हो गयी.
डॉक्टर, एंबुलेंस, व अन्य आवागमन की सुविधा नहीं
बता दें कि सारंडा का पूरा क्षेत्र मलेरिया का कोर जोन है. छोटानागरा में 20 बेड का अस्पताल भवन तो बना दिया गया है. लेकिन यहां नियमित चिकित्सक, एंबुलेंस सहित अन्य सुविधाएं नहीं हैं. इस क्षेत्र में मरीजों को गांव से अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस के अलावा अन्य आवागमन की भी कोई सुविधा नहीं है. जिसकी वजह से हर वर्ष दर्जनों ग्रामीण मलेरिया से ग्रसित होकर गांव में ही मारे जाते हैं. इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग व सरकार तक नहीं पहुंच पाती है.