जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था
इसमें अपने पुत्र का प्रमाण पत्र नॉन क्रीमी लेयर के तहत बनाकर कराया था. इस मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी ने पाया कि डॉ. पाल ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और उन्होंने यह प्रमाण पत्र अपने बेटे को दाखिला दिलाने के लिए बनवाया था. जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्रवाई करते हुए डॉ. पाल को उनके पद से हटा दिया. वहीं डॉ. पाल के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए जांच जारी रहेगी. हालांकि डॉ. पाल ने सभी आरोपों क गलत बताया है. इसे भी पढ़ें - सुप्रीम">https://lagatar.in/important-decision-of-the-bench-of-9-judges-of-supreme-court-government-cannot-acquire-every-private-property/">सुप्रीमकोर्ट के 9 जजों की बेंच का अहम फैसला, हर निजी संपत्ति को सरकारें अधिग्रहीत नहीं कर सकतीं [wpse_comments_template]