NewDelhi : दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक (जीएनसीटीडी) बिल हंगामे के बीच राज्यसभा में भी पास हो गया. बिल पारित होने को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए दुखद दिन है. कहा कि वह लोगों को सत्ता दोबारा सौंपने के लिए संघर्ष करते रहेंगे. खबर है कि आम आदमी पार्टी इस बिल को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है.
RS passes GNCTD amendment Bill. Sad day for Indian democracy
We will continue our struggle to restore power back to people.
Whatever be the obstacles, we will continue doing good work. Work will neither stop nor slow down.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 24, 2021
उप राज्यपाल को और अधिक शक्तियां मिल गयी
बिल के अनुसार दिल्ली विधानसभा के बनाये किसी भी कानून में सरकार से मतलब एलजी से होगा. एलजी को सभी निर्णयों, प्रस्तावों और एजेंडा की जानकारी देनी होगी. यदि एलजी और मंत्री परिषद के बीच किसी मामले पर मतभेद है तो एलजी उस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं. इतना ही नहीं, एलजी विधानसभा से पारित किसी ऐसे बिल को मंजूरी नहीं देंगे जो विधायिका के शक्ति-क्षेत्र से बाहर हैं. वह इसे राष्ट्रपति के विचार करने के लिए रिजर्व रख सकते हैं.
जान लें कि जीएनसीटीडी 2021 बिल पारित होने से उप राज्यपाल को और अधिक शक्तियां मिल गयी हैं. यह विधेयक सोमवार को लोकसभा से पारित हुआ था. केजरीवाल ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन करार देते हुए ट्वीट किया, राज्यसभा ने जीएनसीटीडी विधेयक पारित किया. भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन. लोगों को सत्ता दोबारा सौंपने के लिए संघर्ष करते रहेंगे. जो भी अड़चनें आयेंगी हम अच्छा काम करते रहेंगे. काम न रुकेगा, न धीमा होगा.
लोकतंत्र के लिए काला दिवस बताया
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिवस बताते हुए ट्वीट किया, आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला दिन है. दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गयी सरकार के अधिकारों को छीन कर एलजी के हाथ में सौंप दिया गया. विडंबना देखिये कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है. दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी.
एलजी बनाम मुख्यमंत्री की जंग बहुत पुरानी है
बता दें कि दिल्ली में एलजी बनाम मुख्यमंत्री की जंग बहुत पुरानी है. अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद अक्सर यह मुद्दा सुर्खियों में रहा है. यहां तक कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. 2018 और 2019 सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों के जरिए एलजी और दिल्ली सरकार की भूमिकाओं और अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट किया. अब केंद्र सरकार की दलील है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में जो भावना है,
उसे लागू करने के लिए ही वह गवर्नमेंट ऑफ नैशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली ऐक्ट में संशोधन लायी है. संसद के दोनों सदनों से पास हो चुके इस बिल के तहत एलजी का अधिकार क्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है. बिल में प्रावधान है कि राज्य कैबिनेट या सरकार किसी भी फैसले को लागू करने से पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर की राय लेगी.