Adityapur (Sanjeev Mehta) : टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में 28 और 29 जून को दो दिनों का कंपनी ने ब्लॉक क्लोजर लिया है. इसको लेकर टाटा मोटर्स के प्लांट हेड जमशेदपुर विशाल बादशाह के हस्ताक्षर से एक सर्कुलर जारी किया गया है. लगातार घटते वर्कऑर्डर के कारण कंपनी द्वारा यह कदम उठाया गया है. कर्मचारियों को 30 जून से जमशेदपुर प्लांट में काम करना है. वहीं, कर्मचारियों को ब्लॉक क्लोजर के दौरान आधा वेतन भी गंवाना होगा जबकि कंपनी आधा वेतन का ही भुगतान करेगी. इससे पहले भी टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में एक साथ तीन दिन 22, 23 और 24 जून को ब्लॉक क्लोजर लिया गया था.
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करीब 1.50 लाख मजदूरों वाले औद्योगिक क्षेत्र में ब्लॉक क्लोजर का पड़ेगा प्रतिकूल असर
वहीं, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की वैसी कंपनियों पर टाटा मोटर्स के दो दिन के ब्लॉक क्लोजर का असर पड़ेगा जो टाटा मोटर्स की अनुषंगी इकाइयां हैं. विदित हो कि सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की करीब 1200 कंपनियों के साथ-साथ टाटा कमिंस, गोविंदपुर स्थित स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स लिमिटेड पर भी सीधे तौर पर इसका असर पड़ रहा है. करीब 1.50 लाख मजदूरों वाले आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. फिलहाल यह मंदी की स्थिति कितने दिनों तक रहेगी और क्या कुछ होगा, इसको लेकर आर्थिक मामलों के जानकार भी कुछ कहने को तैयार नहीं है.
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क्या कहते हैं उद्यमी संगठन
इस विषय में लघु उद्योग भारती के महासचिव समीर सिंह ने कहा कि पहले से हमलोग केवल आठ घंटे का एक शिफ्ट मजदूरों से करवा कर खुद के साथ मजदूरों को जिंदा रखे हुए हैं. ऐसे में हमारी मदर इंडस्ट्री में ब्लॉक क्लोजर होना जले पर नमक के समान होगा. हमें बैंकों का ऋण चुकाने और सप्लायर को पेमेंट करने में मुश्किल हो जाएगी.
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वहीं, एसिया उपाध्यक्ष सुधीर सिंह कहते हैं कि मदर इंडस्ट्री को खांसी होती है तो हम अनुषंगी इकाइयों को गंभीर बीमारी हो जाती है. यह शुभ संकेत नहीं है. आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की इंडस्ट्री की कमर तो पहले से कोरोना ने तोड़ रखी है.
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सिया अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह ने कहा कि टाटा मोटर्स में आर्डर की कमी से ब्लॉक क्लोजर की स्थिति आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है. अभी भी आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र कोरोना की महामारी से हुए क्षति का भरपाई नहीं कर पाया है. ऐसे में अनुषंगी इकाइयों की मातृ इंडस्ट्री टाटा मोटर्स में आर्डर की कमी होना और ब्लॉक क्लोजर की स्थिति आना चिंता की बात है. उन्होंने इसके लिए झारखंड की औद्योगिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने बोला यहां और मदर इंडस्ट्री की जरूरत है सरकार को इसके लिए पहल करनी चाहिए.
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