Adityapur (Sanjeev Mehta) : रापचा पंचायत के पिंडराबेड़ा गांव में दोबारा आकार अभिभूत हूं. यहां के लोग बेहद जागरूक एवं नए विचारों का स्वागत करतें हैं. उक्त बातें एनआईटी के निदेशक गौतम सूत्रधार ने कही. बता दें कि गांव के सर्वांगीण विकास के लिए “रपचा पंचायत के पिंडराबेडा” में उन्नत भारत अभियान के तहत विकास योजनाएं चलाई जा रही है. गांव में रविवार को “स्वैच्छिक रक्तदान” पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण जीवन में रक्तदान के प्रति भय एवं उदासीनता दूर करना था. साथ ही कैसे रक्तदान मानवीय जीवन को बचा सकता है इसकी भी जानकारी ग्रामीणों को दी गई.
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रक्तदान से कोई हानि नहीं होती – डॉ. प्रसाद
इस समाहरोह के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. देवेन्द्र प्रसाद मौजूद थे. डॉ. देवेन्द्र प्रसाद पटना मेडिकल कॉलेज क्लीनिकल पैथोलॉजी के विभागाध्यक्ष हैं. डॉ. प्रसाद ने बताया कि कोई भी स्वस्थ स्त्री या पुरुष जिसकी उम्र – 18 से 65 वर्ष है, वजन 45 किलोग्राम से अधिक है, रक्त में हीमोग्लोबिन कि मात्रा 12.5 ग्राम % से अधिक हो वह रक्तदान कर सकता है. उन्होंने बताया कि 90 दिन (3 महीने) के बाद फिर से रक्तदान किया जा सकता है. रक्तदान से कोई हानि नहीं होती बल्कि फायदा ही होता है. उन्होंने “उत्तिष्ठत जाग्रत रक्तदानम् कुरु (उठो जागो रक्तदान करो)” का नारा ग्रामीणों को दिया.
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उन्नत भारत अभियान के निदेशक ने बताया कि गांव के छात्रों के लिए एक काउन्सेलिंग कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. ग्रामीण बच्चों को एनआईटी जमशेदपुर में शैक्षिक भ्रमण हेतु ले जाय जाएगा उसकी अनुमति जल्द ही ली जाएगी. कार्यक्रम डॉ. रंजीत प्रसाद एवं डॉ. कनिका प्रसाद कि अगुवाई में हुआ. रापचा की मुखिया सुकुमति मार्डी ने उन्नत भारत अभियान के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया.
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