Kabul : तालिबान ने फरमान जारी कर पुरुषों को दाढ़ी कटाने, स्मोकिंग करने पर रोक लगा दी है. साथ ही महिलाओं के अकेले निकलने पर भी पाबंदी है. खबर है कि उत्तरी अफगानिस्तान के एक जिले पर कब्जा जमाने के बाद स्थानीय इमाम ने एक पत्र के जरिये अपना पहला आदेश जारी किया है. एएफपी ने कलाफगन जिले के निवासी 25 साल सेफतुल्लाह के हवाले से बताया कि फरमान के अनुसार महिलाएं मर्दों के बिना बाजार नहीं जा सकती. पुरुषों को दाढ़ी रखना अनिवार्य है. तालिबान ने सिगरेट, बीड़ी पीने पर भी पाबंदी लगा दी है.
चेतावनी दी है कि अगर किसी ने नियम-कायदों का पालन नहीं किया तो उसे कड़ी सजा दी जायेगी. बता दें कि अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद तालिबानी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. वे जिलों और देश की प्रमुख सीमाओं पर कब्जा कर रहे हैं, तालिबानी प्रांतीय राजधानी की घेराबंदी कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार कुछ क्षेत्रों में वे फिर से इस्लामी शासन की कठोर व्यवस्था लागू करने की कवायद कर रहे हैं.
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उत्तरी सीमा शुल्क चौकी शिर खान बंदर पर कब्जा कर लिया
जान लें कि पिछले माह तालिबान ने एक उत्तरी सीमा शुल्क चौकी शिर खान बंदर पर कब्जा कर लिया था. यह चौकी पंज नदी पर अफगानिस्तान को ताजिकिस्तान से जोड़ने वाले अमेरिका निर्मित पुल पर स्थित है. एक फैक्टरी में काम करने वाली सजदा ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि शिर खान बंदर पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने महिलाओं को अपने घरों से बाहर नहीं निकलने का आदेश जारी किया है. सजदा ने बताया कि कई महिलाएं और युवा लड़कियां कढ़ाई, सिलाई और जूता बनाने का काम कर रही थीं. लेकिन तालिबान के आदेश से अब वे सब डरी, सहमी हुई हैं
तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया. उस दौरान महिलाओं को घर के अंदर रहने का आदेश था, जब तक कि कोई पुरुष रिश्तेदार साथ न हो, उन्हें बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी. लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं थी, और व्यभिचार जैसे अपराधों में दोषी पाए जाने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाता था. तालिबान न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 हमले के बाद अमेरिका के निशाने पर आया. महिलाओं की अपेक्षाकृत मर्दों को ज्यादा आजादी थी, लेकिन उन्हें दाढ़ी बनाने की मनाही थी.
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नमाज में शामिल नहीं होने पर लोगों को पीटा जाता था
नमाज में शामिल नहीं होने पर लोगों को पीटा जाता था और सबको पारंपरिक पोशाक पहनने को कहा जाता था. अफगानिस्तान बेहद रूढ़िवादी है और देश के कुछ ग्रामीण इलाके तालिबान की निगरानी के बिना भी इसी तरह के नियमों का पालन करते हैं. लेकिन तालिबान ने इन रूढ़ियों को और भी कठोरता से लागू करने की कोशिश की है. हालांकि इस बार अपनी नरम छवि को पेश करने वाले तालिबान ने इन बयानों से किनारा कर लिया है और कहा है कि उसने इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा, ये निराधार दावे हैं. ये फर्जी कागजात का इस्तेमाल करके फैलाई गई अफवाहें हैं.”
रात में घर से निकलने पर रोक लगी
तालिबान भले ही इन बयानों से किनारा करे लेकिन कब्जे वाले इलाकों में रहने वाले लोग कह रहे हैं कि सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट सच्ची है. ताजिकिस्तान सीमा पर यवन जिले पर तालिबान ने कब्जा करने के बाद एक स्थानीय मस्जिद में निवासियों को इकट्ठा किया. 32 साल के नजीर मोहम्मद ने एएफपी को बताया, उनके कमांडरों ने हमें बताया कि रात में किसी को भी घर से निकलने की इजाजत नहीं है. उन्होंने अफगान ध्वज के रंगों का जिक्र करते हुए कहा, “और कोई भी शख्स-विशेष रूप से युवा- लाल और हरे रंग के कपड़े नहीं पहन सकता है. मोहम्मद नजीर ने बताया, तालिबान के आदेश के अनुसार हर किसी को पगड़ी पहननी चाहिए और कोई भी आदमी दाढ़ी नहीं बना सकता है.