Ranchi : झारखंड में सरकारी और गैर सरकारी नौकरियों में स्थानीय को प्राथमिकता देने की दिशा में सरकार ने कई कदम उठाये हैं. निजी कंपनियों में 75 फीसदी आरक्षण स्थानीय लोगों को दिया जाने वाला है. हेमंत सरकार ने रघुवर दास की पिछली सरकार की नियोजन नीति को रद्द कर दिया. यह दलील दी गयी कि इस नीति से झारखंडियों की हकमारी हो रही है. लेकिन नगरीय प्रशासन निदेशालय में कॉन्ट्रैक्ट पर हुई बहाली में स्थानीय को दरकिनार कर दिया गया. यह निदेशालय नगर विकास विभाग के अधीन काम करता है.
53 में से 25 अनारक्षित पदों पर बहाल हुए अधिकांश संविदाकर्मी गैर झारखंडी हैं. यानी स्टेट लेवल और सिटी लेवल टेक्निकल सेल के लिए 30 हजार से 85 हजार रुपये मासिक वेतन वाली नौकरियां नियोजन नीति रद्द होने के बाद भी बांटी गयीं.
इसे भी पढ़ें – देखें वीडियो, आखिर क्यों मेयर कह रहीं, हंगामे की मूल जड़ तो खुद नगर आयुक्त हैं
1 पद के लिए विभाग को नहीं मिला योग्य उम्मीदवार
11 और 12 मार्च को सफल और वेटिंग लिस्ट में शामिल उम्मीदवारों की सूची जारी की गयी. पहली लिस्ट में 18 गैर आरक्षित, 12 अनुसूचित जनजाति, 4 अनुसूचित जाति, BC 1 के 3, BC 2 के 3 और EWS कोटे के 2 उम्मीदवारों का चयन हुआ.
वहीं 28 कैंडिडेट वेटिंग लिस्ट में डाले गये. इसके बाद 12 मार्च को 8 सफल कैंडिटेट की लिस्ट जारी हुई. 12 मार्च को ही 13 लोगों की दूसरी वेटिंग लिस्ट निकली है. इस वेटिंग लिस्ट के सभी उम्मीदवार अनारक्षित कोटे से हैं. वहीं पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप स्पेशलिस्ट के एक पद पर वेकेंसी थी. लेकिन विभाग को एक भी योग्य उम्मीदवार इस पद के लिए नहीं मिला.
अनुभवी लोगों को दरकिनार कर फ्रेशर्स का किया गया चयन
नियुक्ति प्रक्रिया में दरकिनार किये गये उम्मीदवारों ने आरोप लगाया है कि संविदा पर नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं बरती गयी है. स्थानीय बेरोजगारों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है. जिन लोगों के पास 15-20 साल का अनुभव था, उन्हें रिजेक्ट कर वैसे लोगों को बहाल किया गया जिनके पास मात्र 5-6 साल का अनुभव है. इसे लेकर उम्मीदवारों ने विरोध भी किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
बहाली पारदर्शी तरीके से हुई है- विजया जाधव
इस मुद्दे पर नगरीय प्रशासन निदेशक विजया जाधव का कहना है कि विभाग में कॉन्ट्रैक्ट पर जो भी बहाली हुई है. वह पूरी तरह पारदर्शी तरीके से हुई है. कार्मिक और प्रशासनिक विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की गयी है. आरक्षण रोस्टर का भी पूरी तरह ख्याल रखा गया है.
नियुक्ति की इतनी जल्दबाजी क्यों ?
सरकारी नौकरियों के साथ-साथ कॉन्ट्रैक्ट पर होने वाली नियुक्तियों में सरकार ने साफ तौर पर स्थानीय लोगों को बहाल करने का निर्देश जारी किया है. लेकिन विभाग का तर्क है कि संविदा पर बहाली में आरक्षण रोस्टर लागू नहीं होता है. तर्क यह भी है कि ग्रेड वन और ग्रेड टू की नौकरियां अनारक्षित होती हैं. अब सवाल ये उठता है कि जब रघुवर सरकार की नियोजन नीति हेमंत सरकार ने रद्द कर दिया है, तो फिर उनका ही डिपार्टमेंट ग्रेड-1 और ग्रेड-2 की नौकरियों को अनारक्षित क्यों बता रहा है.
दूसरे विभागों ने नियोजन नीति रद्द होने के बाद संविदा पर होने वाली नियुक्तियों को या तो होल्ड कर दिया या फिर रद्द कर दिया. ये विभाग नयी गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री के इस विभाग को नियुक्ति करने की इतनी जल्दबाजी क्यों थी, इस पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं.
इसे भी पढ़ें – क्या 2015 में ही तय था कोरोना महामारी का आना? क्या कहता है द इकोनोमिस्ट का यह कवर पेज