Ranchi : सहायक पुलिस के जवानों का आंदोलन मोरहाबादी मैदान में बीते दो जुलाई से शुरू हुआ है, जो तीसरे दिन गुरुवार को भी जारी है. बारिश होने के बाद भी कई जिलों से आए सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान में टेंट बना कर आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मी राजभवन घेराव करने जा रहे थे, जिन्हें पुलिस ने मोरहाबादी मैदान में ही रोक दिया है. अपनी मांगों के समर्थन में सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान में आंदोलन कर रहे हैं. गुरुवार को तय कार्यक्रम के तहत में मोरहाबादी मैदान से राजभवन घेराव के लिए निकले थे. लेकिन भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच उन्हें मोरहाबादी मैदान में ही रोक दिया गया है. सिटी डीएसपी के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिस मोरहाबादी मैदान में तैनात है और सहायक पुलिस कर्मियों को समझाने में लगी हुई है.
वहीं आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों में कई महिलाएं भी शामिल हैं, जो अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ भी आंदोलन के लिए मोरहाबादी मैदान में आई हुई है. वहीं सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन को देखते हुए मोरहाबादी मैदान के आसपास पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनाती भी की गई है.
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नौकरी परमानेंट करने की मांग
मोरहाबादी मैदान में आंदोलन के लिए जुटे सहायक पुलिसकर्मियों ने बताया कि वो लोग पिछले सात वर्षों से 10 हजार रुपए के मासिक मानदेय पर नौकरी कर रहे हैं. 10 हजार रुपये में परिवार का पालन पोषण करना बेहद ही मुश्किल है. झारखंड में पुलिस जवानों की कमी है. उनकी मांग है, कि उनकी सेवा को पुलिस सेवा में समायोजित किया जाए. उन्होंने बताया कि सेवा को परमानेंट करने की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं. उनका कहना है कि अनुबंध के खत्म हो जाने के बाद उनके पास कुछ करने को नहीं बचेगा. पूर्व की सरकार ने आश्वासन दिया था कि तीन साल तक की ड्यूटी के बाद उन्हें परमानेंट कर दिया जाएगा. लेकिन इस संबंध में सरकार ने कोई प्रक्रिया नहीं शुरू की है इसलिए उनका आंदोलन जारी है.
2500 के करीब जवानों की नियुक्ती की गई थी
बता दें कि साल 2017 में झारखंड के नक्सल प्रभावित 12 जिलों में सहायक पुलिस के जवानों की संविदा के आधार पर नियुक्ति हुई थी. पूरे राज्य में 2500 के करीब जवानों की नियुक्त हुई थी. सहायक पुलिस के जवान का अनुबंध प्रत्येक वर्ष बढ़ाया जाता है. संबंधित रेंज के डीआईजी सहायक पुलिस जवानों के कार्यों की समीक्षा करने के बाद अनुबंध को बढ़ाते हैं. सहायक पुलिस के जवान पिछले कई सालों से आंदोलन कर रहे हैं.
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