Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक महत्वपूर्ण खबर आयी है. खबर यह है कि हाईकोर्ट ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के ASI सर्वे को मंजूरी दे दी है. साथ ही कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण के लिए अदालत की निगरानी में एक एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग मान ली है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#WATCH | On Krishna Janmabhoomi case, Vishnu Shankar Jain, the lawyer for the Hindu side says, “Allahabad HC has allowed our application where we had demanded survey of (Shahi Idgah Masjid) by advocate commissioner. The modalities will be decided on Dec 18. The court has rejected… pic.twitter.com/OLSeYYSe50
— ANI (@ANI) December 14, 2023
एएसआई सर्वे कब शुरू होगा, यह 18 दिसंबर को तय किया जायेगा
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने जानकारी दी कि कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के ASI सर्वे पर मुहर लगा दी है. बताया गया है कि एएसआई सर्वे कब शुरू होगा, यह 18 दिसंबर को तय किया जायेगा. मामले का तह में जायें तो भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों ने वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ASI सर्वे कराने की गुहार लगाई थी. हिंदू पक्ष द्वारा याचिका में दावा किया गया था कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है.
ईदगाह परिसर में कई संकेत हैं जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था. अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के अनुसार, याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया गया था किवहां एक कमल के आकार का स्तंभ मौजूद है और यह हिंदू मंदिरों की विशेषता है.
वहां शेषनाग की एक छवि भी मौजूद है, जो हिंदू देवता हैं,
याचिका में दर्शाया गया था कि वहां शेषनाग की एक छवि भी मौजूद है, जो हिंदू देवता हैं, उन्होंने (शेषनाग) जन्म वाली रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी. अदालत को बताया गया कि मस्जिद के स्तंभों के निचले भाग पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी है. याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद कोर्ट से आग्रह किया कि निर्धारित समयावधि में शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशिष्ट निर्देशों के साथ कमीशन की नियुक्ति की जा सकती है.
एक बात और कि याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट से शाही ईदगाह मस्जिद के एएसआई सर्वे की पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने का निर्देश देने का आग्रह किया था. जस्टिस मयंक कुमार जैन ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आवेदन पर 16 नवंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था.