NewDelhi : इलाहबाद हाईकोर्ट गैंगस्टर एक्ट लगाने को लेकर अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि एक केस पर भी गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है. यह फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने इससे संबंधित एक दर्जन याचिकाएं रद्द कर दी. बता दें कि इन याचिकाओं में एक केस होने पर गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने की वैधता को चुनौती दी गयी थी. जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस समित गोपाल की खंडपीठ ने याचिकाएं रद्द की.
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आरोपियों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता
हाईकोर्ट ने माना कि इस आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है. कहा कि अगर दर्ज प्राथमिकी से संज्ञेय अपराध बन रहा है तो उसकी विवेचना अवश्य होनी चाहिए. इसे रद्द नहीं किया जा सकता. कहा कि आरोपियों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता. इस तरह की दलीलों के साथ कोर्ट ने रितेश कुमार उर्फ रिक्की सहित कई अन्य याचिकाएं खारिज कर दी..
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फसाने की नीयत से दर्ज की एफआईआऱ
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि उनके खिलाफ केवल एक एफआइआर दर्ज है. एफआईआर उन्हें साने की नीयत से दर्ज कराई गयी है. कहा कि इसमें कोई विश्वसनीय, स्वतंत्र गवाह और साक्ष्य मौजूद नहीं हैं. इस मामले में कोर्ट से सभी को जमानत मिल चुकी है या गिरफ्तारी पर रोक लगी है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि जमानत पर छोड़ने के आदेश के कारण गैंग चार्ट तैयार कर गैंगेस्टर एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज कराई गयी है.
कहा कि इन मामलों में पुलिस को न किसी गैंग का पता है और न ही अपराध करने के लिए गैंग की मीटिंग का कोई साक्ष्य है. आरोप लगाया कि पुलिस ने जमानत पर रिहाई को रोकने की नीयत से बिना किसी ठोस सबूत के इन लोगों को फंसाया है. इस क्रम में सरकारी वकील ने कहा कि दर्ज प्राथमिकी से संज्ञेय अपराध बनता है, जिसकी विवेचना होनी चाहिए.