Lucknow : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक पत्रकार से यह उम्मीद नहीं की जाती है कि वह किसी घटना को नाटकीय ढंग से पेश करने के लिए और समाचार रिपोर्ट के विषय को जोखिम में डाले. जस्टिस विकास कुंवर श्रीवास्तव की पीठ ने लखनऊ के पत्रकार शमीम अहमद की जमानत याचिका ठुकराते हुए यह टिप्पणी की. जान लें कि शमीम अहमद समाचार संकलन के लिए एक व्यक्ति को विधान भवन के सामने आत्मदाह के लिए उकसाने के मामले में सह-अभियुक्त हैं.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2020 में आरोपी पत्रकार शमीम अहमद ने मकान मालिक द्वारा बेदखल करने की धमकी पाने वाले एक व्यक्ति से विरोध में विधानसभा भवन के सामने खुद को आग लगाने के लिए कहा था. अहमद ने कथित तौर पर यह कहा था कि वे एक टेलीविजन समाचार चैनल पर वीडियो प्रसारित करेंगे, इस प्रकार इस मामले को उजागर करेंगे, जो इस व्यक्ति को बेदखल होने से बचायेगा.
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खुद को आग लगाने वाले व्यक्ति को पुलिस द्वारा अस्पताल ले जाया गया
बता दें कि खुद को आग लगाने वाले व्यक्ति को पुलिस द्वारा अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया. अदालत ने माना कि गंभीर रूप से झुलसे हुए व्यक्ति को बचाने के बजाय आरोपी उसे तब तक वीडियो बनाता रहा जब तक कि वह बुरी तरह से झुलस नहीं गया.
इस मामले में उसकी पत्नी शिकायतकर्ता है. दंपति को बेदखल करने की धमकी देने वाले मकान मालिक ने भी किराया देने में असमर्थ होने पर पत्रकार ने उस व्यक्ति को खुद को आग लगाने और मरने के लिए कहा था.
पत्रकार से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि किसी को नाटक करने को कहे
जस्टिस श्रीवास्तव की पीठ ने पत्रकार को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि एक पत्रकार से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह एक सनसनीखेज और खौफनाक वारदात का जानबूझकर नाटक करने को कहे और उसे अंजाम देने वाले की स्थिति को दुर्दशापूर्ण बताते हुए उस पर खबर लिखे.
पीठ ने पत्रकार की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकार समाज में होने वाली प्रत्याशित या अचानक होने वाली घटनाओं पर नजर रखता है और बिना किसी छेड़छाड़ के विभिन्न समाचार मीडिया के माध्यम से सभी लोगों की जानकारी में लाता है, यह उसका काम है.
समाचार चैनलों ने बॉलीवुड अभिनेताओं का मीडिया ट्रायल किया
पिछले साल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद जब मुख्यधारा के टेलीविजन समाचार चैनलों ने बॉलीवुड अभिनेताओं का मीडिया ट्रायल किया और टेलीविजन पर खुद उनकी जांच कर उन्हें दोषी तक ठहराने लगे तो उस समय पत्रकारों के इस रवैये की भी तीखी आलोचना की गयी थी. इस मामले में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाते हुए फटकार लगायी थी.