Ranchi : राज्य की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के विरुद्ध जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं व जनजातीय संगठनों ने रांची के उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि मंत्री ने ईसाई धर्म अपनाने के बावजूद 2 मई 2022 को जारी जाति प्रमाण पत्र (क्रमांक JHcst/2022/187696) अनुचित लाभ उठाने के उद्देश्य से प्राप्त किया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बनाया आधार
ज्ञापनकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया वाद संख्या 13086/2024 ("सी. सेल्वा रानी बनाम विशेष सचिव सह जिला कलेक्टर") का हवाला देते हुए कहा कि ईसाई धर्म में जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं है और सभी ईसाई समकक्ष माने जाते हैं. ऐसे में धर्म परिवर्तन को जाति से निष्कासन की तरह देखा जाना चाहिए. ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि इस स्थिति में आरक्षण का लाभ लेना संवैधानिक धोखाधड़ी है.
राष्ट्रपति आदेश व केंद्रीय मंत्री का बयान भी पेश
सामाजिक कार्यकर्ता मेघा उरांव ने कहा कि संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश, 1950 की धारा 341 और लोकसभा में केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के उत्तर से स्पष्ट है कि अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं लोगों को दिया जा सकता है, जो हिंदू या संबंधित धर्मों से संबंध रखते हैं. धर्मांतरण के बाद यह लाभ नहीं मिलना चाहिए.
पहले भी भेजी जा चुकी हैं शिकायतें
जनवरी 2025 में भी इसी मुद्दे पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, जनजाति आयोग और अन्य संबंधित विभागों को पत्र लिखकर धर्मांतरित ईसाइयों और मुस्लिमों के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने की मांग की जा चुकी है.
विधायकों पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
जनजाति सुरक्षा मंच के मीडिया प्रभारी सोमा उरांव ने कहा कि वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में आरक्षित सीटों से निर्वाचित धर्मांतरित ईसाई विधायकों के खिलाफ भी संगठन शीघ्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा.
ज्ञापन सौंपने वालों में शामिल रहे
मेघा उरांव, संदीप उरांव, सोमा उरांव, जगन्नाथ भगत, विशु उरांव, राजू उरांव, सनी उरांव टोप्पो समेत अन्य सामाजिक कार्यकर्ता.