Ranchi : एचईसी की स्थापना रशियन साझेदारी के तहत हुई थी. रशियन इंजीनियरों की देखरेख में एचईसी आवासीय परिसर का निर्माण हुआ था. जिसका काम शालीमार नाम की कंपनी ने 1962 से 1965 के बीच किया था. एचईसी के निर्माण के समय कई ऐसे प्रोजेक्ट बने, जिसका ड्राइंग डिजाइन रशियन इंजीनियरों की ओर से तैयार किया गया था. जैसे हटिया डैम, सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम और प्लांट प्लाजा रोड.
1965 में एशिया का सबसे लंबा सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम आज पूरी तरह से स्मार्ट सिटी बनने से ध्वस्त हो गया है. आने वाले वर्षों में एचईसी आवासीय परिसर के सीवरेज-ड्रेनेज का मलबा कहां और कैसे निकलेगा? इस सवाल का जवाब एचईसी प्रबंधन के जिम्मेवारों के पास भी नहीं है. इस विषय पर एचईसी के अफसर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. जबकि सबकी आंखों के सामने एचईसी आवासीय परिसर से निकलने वाला सीवरेज ड्रेनेज का पानी जगह-जगह जमना शुरू हो गया है.
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अनोखा था सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम का ड्राइंग डिजाइन
लगातार न्यूज नेटवर्क ने एचईसी के सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम पर निगम के पूर्व कर्मियों से बातचीत की. वरीय एकाउंट अफसर डीएन सिंह ने बताया कि रशियन इंजीनियरों ने एचईसी में एशिया का सबसे लंबा सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम बनाया था. जिसकी लंबाई 75 किलोमीटर से ज्यादा थी. इसके साथ ही सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम का ड्राइंग डिजाइन भी अनोखा था.
इसकी खासियत यह थी कि सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से गुरुत्वाकर्षण पैटर्न के तहत तैयार हुआ था. एचईसी के करीब 12 सेक्टर के 11 हजार 500 आवास से सीवरेज-ड्रेनेज का मलबा निकलता था.जो बिना किसी सपोर्ट के पाइप लाइन के सहारे टोनको स्थित सीवरेज-ड्रेनेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचता था. प्लांट में गंदे पानी को साफ कर स्वर्ण रेखा नदी में बहाया जाता था.
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आवासीय परिसर में 32 शंप में जमा होता था पानी
एचईसी आवासीय परिसर में सीवरेज-ड्रेनेज का पानी एकत्र करने के लिए 32 शंप थे. वहीं 2000 से ज्यादा छोटे-बड़ चेंबर थे. जिनका निर्माण आवासीय कॉलोनी के नजदीक खाली स्थान पर हुआ था. इस संबंध में निगम के पूर्व कर्मी जेपी सिंह ने बताया कि एचईसी कॉलोनी में शंप के अवशेष अभी भी देखे जा सकते हैं.
शंप का निर्माण एक निर्धारित ऊंचाई पर किया गया था. जिसमें से पानी ओवर फ्लो कर पानी लाइन में चला जाता था.
एचईसी मुख्यालय के पीछे था मुख्य शंप
जेपी सिंह ने बताया कि एचईसी मुख्यालय के पीछे बने मुख्य शंप में पूरे क्षेत्र का गंदा पानी जमा होता था. उस शंप से पानी खुदबखुद टोनको तक पाइप लाइन से चला जाता था. पानी को आगे तक पहुंचाने के लिए कहीं भी पंपिंग आदि सिस्टम नहीं था.
सीवरेज-ड्रेनेज पाइप लाइन ऐसे ढलान को देखते हुए बनाया गया था कि पूरे आवासीय परिसर से इसका पानी आराम से निकलता था. कहीं जमा नहीं होता था. बिना किसी बाधा के ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंच जाता था. एचईसी मुख्यालय के पीछे जहां मुख्य शंप था. आज वहां स्मार्ट सिटी का निर्माण हो रहा है.
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