Varanasi : मोक्ष की नगरी काशी, जहां जन्म और मृत्यु दोनों ही उत्सव हैं, के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर धधकती चिताओं के बीच नगर वधुओं ने कल रातभर नृत्य किया. बता दें कि सदियों पुरानी इस परंपरा से काशी ने देश-दुनिया को संदेश दिया कि काशी में जीवन और मृत्यु दोनों ही उत्सव हैं. खबरों के अनुसार नवरात्रि की सप्तमी की रात परंपरा के अनुसार बाबा महाश्मशान नाथ के दरबार में देशभर से आयी नगर वधुओं ने घुंघरुओं की झंकार के साथ भीगी पलकों से प्रार्थना की.
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नगर वधुओं ने कलंकित जीवन से मुक्ति के लिए गीत गाये
नगर वधुओं ने कलंकित जीवन से मुक्ति के लिए गीत गाये. एक तरफ पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित कर गम में परिजन थे तो दूसरी तरफ नृत्य-संगीत करती नगर वधुएं. इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए काशी सहित देश के कोने-कोने से शिव भक्त पहुंचे थे. जान लें कि सप्तमी को नगर वधुएं परंपरागत रूप से महाश्मशानेश्वर महादेव को नृत्यांजलि अर्पित करती हैं. इन वधुओं के बीच मान्यता है कि बाबा मसान नाथ के दरबार में हाजिरी से उनके इस जीवन का अभिशाप कट जायेगा.
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नगर वधुओं का संदेश पाकर राज मान सिंह प्रसन्न हुए
बाबा मसान नाथ के दरबार में गीत-संगीत की प्रस्तुति का नगर वधुओं का संदेश पाकर राज मान सिंह प्रसन्न हुए थे. उन्होंने रथ भेजकर नगर वधुओं को महाश्मशान पर बुलवाया. तभी से यह परंपरा चली आ रही है. उत्तरवाहिनी गंगा के किनारे धधकती चिताओं के बीच नगर वधुएं बाबा मसान नाथ से प्रार्थना करती हैं कि अगला जन्म यदि फिर बिटिया का ही मिले तो हे प्रभु ऐसा कलंकित जीवन मत देना. इसके साथ ही इस जन्म के कलंक और पाप से भी मुक्ति दे देना.
कलंकित जीवन से किसी तरह से मुक्ति मिले
महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर होने वाले इस उत्सव में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से नगर वधुएं अपनी मर्जी से आती हैं. बाबा मसाननाथ के दरबार में थिरकते हुए भीगी पलकों से उनकी एक ही कामना रहती है कि कलंकित जीवन से किसी तरह से मुक्ति मिले. बाबा मसान नाथ का दरबार फूलों से सजाया जाता है. फिर पंचमकार का भोग लगाकर तंत्रोक्त विधि से आरती उतारी जाती है. इसके बाद जाकर बाबा मसान नाथ की अनुमति से गीत-संगीत का अनूठा आयोजन शुरू किया जाता है. महाश्मशान मणिकर्णिका घाट का यह राग-विरागी उत्सव जीवन के सत्य का भी बताता है. यह समझाता है कि काशी जीवंतता का प्रतीक है. यहां जन्म और मृत्यु दोनों ही उत्सव हैं. महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर होने वाले इस अनूठे आयोजन के साक्षी देश भर के शिव भक्त बनते हैं.