- यूनियनों की आड़ में ऑटो चालकों की बढ़ी मनमानी
- यात्रियों से किराए वसूली पर यूनियनों का नियंत्रण नहीं
- संगठनों की आपसी होड़ से किराया निर्धारण रुका
Ranchi: राजधानी में ऑटो यूनियनों की आड़ में यात्रियों से अधिक किराए की वसूली हो रही है. शहर के ऑटो चालक संगठनों के बीच रजामंदी नहीं होने से किराए का निर्धारण नहीं हो रहा है. इससे शहर के विभिन्न रूटों में ऑटो चालकों की मनमानी बढ़ती ही जा रही है.
दुगुना-तिगुना किराया वसूल रहे ऑटो चालक
ऑटो चालक यात्रियों से दुगुने-तिगुने और मनमाना किराया वसूल रहे हैं. कहीं कोई रोक-टोक नहीं है. दिखावे के लिए सामाजिक दूरी के नाम पर यह किराए ली जा रही है. महासंघ की घोषणा के बाद भी दस जनवरी को ऑटो में किराया चार्ट चिपकाने का कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है.
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चालक हित के लिए किराया निर्धारण नहीं
राजधानी में ऑटो चालकों की इस कमाऊ अधिकार को जारी रखने के लिए कई संगठन आपस में ही लड़ रहे हैं. जिससे वाजिब किराया का निर्धारण ना हो सके.
डीजल ऑटो चालक महासंघ ने ली थी जिम्मेदारी
राजधानी में ऑटो चालको के सबसे बड़े यूनियन झारखंड प्रदेश डीजल ऑटो चालक महासंघ इस मामले को सुलझा नहीं सकी है. हालांकि वह अपने संगठन को असली संगठन बताती हैं. शहर के दो बड़े संगठन इसके हर कार्य का विरोध करते हैं. मजे की बात यह है कि एक ही नाम और रजिस्टर्ड नंबर के सहारे ऑटो महासंघ अपने को असली संगठन बताते हैं. इसी विवाद की आड़ में चालक मनमानी कर रहे हैं. इस पर प्रशासन की ओर से भी कोई नियंत्रण भी नहीं है.
संगठनों का इलाकावार प्रभाव
इन संगठनों का शहर में इलाकावार प्रभाव है. इससे भी ऑटो महासंघ के किराए दूसरे रूट में लागू नहीं होते. रातू रोड इलाके में एक यूनियन का प्रभाव है तो कचहरी, धुर्वा में कोई अन्य गुट हावी है. वहीं चर्च रोड और अन्य रूटों में कोई और गुट हावी है.
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इस मामले में झारखंड प्रदेश डीजल ऑटो चालक महासंघ के दिनेश सोनी कहते हैं कि राजधानी ही नहीं पूरे प्रदेश में उनका संगठन ही असली है. संगठन का रजिस्ट्रेशन नंबर है जिसे दूसरा संगठन भी इस्तेमाल कर रहा है. संगठन के पदाधिकारियों ने कई बार इस मामले को लेकर परिवहन विभाग, प्रशासन के अधिकारियों के पास शिकायत की है. लेकिन किसी अधिकारियों ने उनकी शिकायतों को नहीं सुना.