- जेएमएम ने कहा, यह शर्मनाक है कि झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने थे बाबूलाल मरांडी
- जनजाति परामर्शदात्री परिषद (TAC) की पहली बैठक का भाजपा सदस्यों ने किया बहिष्कार, सत्तारूढ दल ने की निंदा
Ranchi: हेमंत सरकार के बनाये गए जनजाति सलाहकार परिषद (TAC) की पहली बैठक का बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी के किये बहिष्कार का जेएमएम और कांग्रेस ने कड़ी निंदा की है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि जनजातियों की हित की बात करने वाले बाबूलाल मरांडी तो स्वयं जनजाति समाज से आते हैं, लेकिन उन्होंने इस बैठक का बहिष्कार कर यह बता दिया है कि वे किस मानसिक अवसाद से पीड़ित हैं. बाबूलाल की ऐसी पहल से जेएमएम को यह कहने में कोई परहेज नहीं है कि यह बड़ी शर्म की बात है कि जनजातिय बहुल झारखंड के वे पहले मुख्यमंत्री बने थे.
इसे भी पढ़ें-झारखंड को जुलाई में मिलेगी वैक्सीन की 9 लाख 57 हजार डोज, बढ़ेगी वैक्सीनेशन की रफ्तार
सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि नियमावली में किसी जनजाति महिला सदस्य नहीं होने के कारण बाबूलाल बैठक का विरोध कर रहे हैं. लेकिन वे फिर से भूल गये हैं कि जनजातिय समाज से आने वाली और जामा सीट से तीन बार विधायक रहीं सीता सोरेन TAC की सदस्य हैं. बैठक का विरोध करने से पहले तो बाबूलाल नियमावली का विरोध इसलिए करते हैं, क्योंकि वे चाहते थे कि नियमावली के तहत TAC का अध्यक्ष मुख्यमंत्री हो. लेकिन वे भूल गये कि हेमंत सोरेन स्वयं आदिवासी हैं. जाहिर है कि यह सब बातें बाबूलाल के मानसिक अवसाद को बयां करती हैं.
इसे भी पढ़ें-रेमडेसिविर कालाबाजारी के मामले में CID ने दो लोगों के खिलाफ दायर की चार्जशीट
जेएमएम नेता ने कहा कि हेमंत सरकार ने बनाये नियमावली को लेकर बाबूलाल तो हाईकोर्ट तक जाने वाले थे, लेकिन फिर ऐसा करने की उन्होंने पहल नहीं की. दरअसल वे जानते हैं कि उनके ही पार्टी की रमन सरकार ने छत्तीसगढ़ के जनजातियों के हित में नियमवली में संशोधन कर जनजाति सलाहकार परिषद का गठन किया था. हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट ने भी इसपर अपनी मुहर लगायी थी. ऐसे में बाबूलाल यह जानते थे कि हाईकोर्ट में उन्हें फटकार लगेगी.
प्रदेश कांग्रेस ने भी बाबूलाल मरांडी की इस पहल की निंदा की है. पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने उनसे पूछा है कि क्या विधानसभा सदस्य सीता सोरेन महिला सदस्य नहीं हैं. भाजपा में राजनीतिक स्थापत्य के लिए बाबूलाल और कितना झूठ बोलेंगे. जो बाबूलाल मरांडी कल तक आदिवासियों के सबसे बड़े हितैषी होने का दावा करते थे, उनका भाजपा में जाते ही आदिवासी विरोधी चेहरा सामने आ गया है.