Lagatar Desk
अपने नयी दिल्ली के दौरे के क्रम में झारखंड के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल मंगलवार देर रात गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे थे. वहां उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत सहित आंदोलनरत किसानों से भेंट की.
झारखंड के कृषि मंत्री ने उन्हें कहा कि वे अपने साथ झारखंड से पानी लाये हैं. उन्होंने किसानों को झारखंड का पानी पिलाकर आश्वस्त किया कि झारखंड का पवित्र जल, जंगल और जमीन भी अन्नदाता किसानों के साथ है. कृषि मंत्री बादल ने गाजीपुर बॉर्डर पर ही किसानों के साथ रात का खाना भी खाया.
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हवाई अड्डे पर सवाल को टालते दिखे मंत्री
बुधवार सुबह दिल्ली से वापसी पर रांची हवाई अड्डे पर एक समाचार चैनल के पत्रकार ने बादल से पूछा कि जो पानी उन्होंने दिल्ली बार्डर पर जमे आंदोलनकारी किसानों को पिलाया था, वह कहां का था. इस पर मंत्री बादल सवाल को टालते नजर आये. पत्रकार के बार-बार यह पूछने पर कि क्या वह पानी झारखंड की किसी नदी का था अथवा सप्लाई का पानी था, बादल ने इसे सामान्य पानी बताया. कई बार पूछने पर भी बादल ने साफतौर पर कुछ नहीं बताया.
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चर्चा में रहा किसानों को पानी पिलाना
कृषि मंत्री द्वारा आंदोलनकारी किसानों को झारखंड का पानी पिलाये जाने को लेकर काफी चर्चा रही. लोगबाग यह कहते दिखे कि अगर मंत्री किसानों के लिए झारखंड से पानी लेकर गये थे, तो उन्हें यह बताने से परहेज नहीं करना चाहिए कि पानी कहां का है. और यदि उन्होंने पानी दिल्ली से लिया था, तो उसे झारखंड का बताने की क्या जरूरत थी.
लोगों ने कहा कि आंदोलन का समर्थन करना, साथ खाना –पीना तो ठीक है, लेकिन पानी को झारखंड का बताना भावनात्मक प्रचार पाने की कोशिश लगती है. किसानों के बीच बादल ने कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग की और कहा कि केंद्र सरकार संवेदनहीन हो गयी है. सड़कों पर कीलें, कंटीले तार एवं सीमेंट की दीवार बनाकर अन्नदाताओं को अपने ही देश में दुश्मन बताकर प्रताड़ित किया जा रहा है.
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