Ranchi: हजारीबाग के बड़कागांव अंचल के पसेरिया गांव के सात रैयतों को जमीन वापस कर दी गयी है. इन रैयतों की जमीन ज्वाइंट वेंचर रोहाने कोल कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने ली थी. इन वेंचर में जेएसडब्ल्यू स्टील, भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड और जय बालाजी इंडस्ट्री शामिल थी. वेंचर पर लगातार आरोप लग रहा था कि कंपनी ने जिन सरकारी शर्तों के साथ रैयतों की जमीन ली है उसे पूरा नहीं किया जा रहा.
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ऐसे में राज्य में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के तहत जमीन विवाद के मामलों की सुनवाई अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने करते हुए जमीन वापसी का फैसला सुनाया है. जिन रैयतों की जमीन वापस हुई है उनमें हाकिम सोरेन, फागु मांझी, देमका मांझी, करमी देवी, अजय सोरेन, जगदीश मांझी और राजेंद्र सोरेन शामिल हैं. ये सभी आदिम जनजाति से जुड़े रैयत हैं. इस बात की जानकारी भू-राजस्व विभाग की तरफ से एक प्रेस नोट जारी कर दी गयी है.
चंपई सोरेन के न्यायालय में हुई सुनवाई
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के तहत जमीन विवाद के मामलों की सुनवाई अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने की. उनके निर्णयों को कार्यपालक नियमावली के तहत राज्यपाल व मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किया जाता है. उनका निर्णय अंतिम होता है. अनुमति के बाद विवादित जमीन आदिवासियों को वापस होगी. भू-राजस्व विभाग ने मंत्री चंपई सोरेन को सीएनटी एक्ट की धारा 49 (5) के तहत आदिवासियों की भूमि वापसी की सुनवाई व निष्पादन के लिए पीठासीन पदाधिकारी के रूप में प्राधिकृत किया गया है.
हस्तांतरण के 12 वर्षों बाद भी हो सकती है जमीन वापसी
सीएनटी एक्ट की धारा 49 (5) के तहत अनुसूचित जनजाति की भूमि की वापसी का प्रावधान सरकार की तरफ से किये जाने का प्रावधान है. सीएनटी एक्ट लागू क्षेत्र में चैरिटेबल ट्रस्ट जैसे हाउसिंग सोसाइटी, अस्पताल या अन्य कार्यों के लिए उपायुक्त को जमीन के हस्तांतरण की शक्ति दी गयी है. सेक्शन 49 में आदिवासी जमीन हस्तांतरित करने के बाद भी गड़बड़ी पाये जाने पर जमीन वापसी का प्रावधान है.
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जमीन के इस्तेमाल का उद्देश्य बदल जाने पर भी भूमि वापसी की जा सकती है. जमीन हस्तांतरित करने के 12 साल या उससे अधिक समय गुजर जाने के बाद भी मामले की सुनवाई करके जमीन वापस लेने से संबंधित प्रावधान किया गया है.
जमीन वापसी मामलों की सुनवाई करने वाले राज्य के दूसरे मंत्री हैं चंपई
झारखंड गठन के बाद सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी जमीन वापसी के मामलों की सुनवाई करने वाले चंपई सोरेन दूसरे मंत्री होंगे. वर्ष 2001 में तत्कालीन भू-राजस्व मंत्री मधु सिंह ने भी आदिवासी जमीन वापसी के मामलों की सुनवाई शुरू की थी. हालांकि, उनके द्वारा मामलों की सुनवाई शुरू करने के बाद काफी विवाद हो गया था. जिसके कारण उनको सुनवाई बंद करनी पड़ी थी. उसके बाद से आदिवासी जमीन वापसी के मामलों की सुनवाई के लिए किसी को प्राधिकृत नहीं किया गया था.
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