Bermo: आज आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने सरना धर्म कॉलम कोड पर लोगों को एकजुट किया. इसे लेकर बिहार, बंगाल, असम, उड़ीसा एवं झारखंड में राष्ट्रव्यापी रेल व रोड चक्का जाम काआह्वान किया गया था.
इस दौरान सरना धर्म कॉलम कोड की मान्यता को लेकर बेरमो के कई हिस्सों में सड़क जाम किया गया. इसके तहत बेरमो अनुमंडल के NH-23 पेटरवार, तेनूचौक, गोमिया एवं नावाडीह में घंटो सड़क जाम रहा. पेटरवार और गोमिया में जाम के कारण गाड़ियों की लंबी कतार लग गई.
जाम से पहले कार्यकर्ताओं ने पेटरवार में हाईस्कूल मैदान से रैली निकाला. मुख्य चौक पर पहुंच कर सड़क जाम कर दिया. वहीं गोमिया प्रखंड अंतर्गत खम्हरा पंचायत के शहरटोला पंचायत भवन से जुलूस के शक्ल में निकले. जुलूस पीएमएस स्कूल, आईईएल गेट, बैंक मोड़, होते हुए गोमिया पोस्ट ऑफिस मोड़ पहुंची और सभा के रूप में तब्दील हो गई.
देखें वीडियो-
इसे भी पढ़ें-पाकिस्तानी आर्मी जनरल का कबूलनामा, बलूच आंदोलन को खत्म करना चाहता है चीन, भारत को रोकना मकसद
चक्का जाम का नेतृत्व आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू ने किया. श्री मुर्मु ने कहा कि हम भारत के 15 करोड़ आदिवासी हैं. ज्यादातर आदिवासी हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन नहीं हैं. हम प्रकृति पूजक हैं. इसको सरना धर्म कहते हैं. लेकिन हम आदिवासियों को अभी तक सरकार के द्वारा धार्मिक मान्यता नहीं दी गई है.
देखें वीडियो-
उन्होंने कहा कि उक्त मांग अनुच्छेद 25 के तहत यह हमारा मौलिक अधिकार और मानवीय अधिकार में है. वर्ष 2021 जनगणना का वर्ष है. इसलिए हमें इसी वर्ष करो या मरो की तर्ज पर सरना धर्म कॉलम कोड लेना होगा. आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रतिनिधि द्वारा सितंबर माह में ही राष्ट्रपति, केन्द्र सरकार, राज्यपाल एवं सभी मुख्यमंत्रियों को धर्म कोड के लिए पहल करने या वार्ता के लिए पत्र प्रेषित किया गया था, किन्तु कोई सकारात्मक पहल नहीं किया गया. इस कारण आज आदिवासी सेंगेल अभियान के कार्यकर्त्ता राष्ट्रव्यापी रेल/ रोड चक्का जाम के लिए मजबूर हुए हैं.
इसे भी पढ़ें-किसानों को राहत देने की तैयारी में सरकार, बढ़ सकती है KCC की लिमिट
इससे पहले 6 दिसंबर 2020 को भी भारत के पांच प्रदेशों बिहार, बंगाल, असम, उड़ीसा और झारखंड में राष्ट्रव्यापी रेल/रोड चक्का जाम किया था. इसके कारण कुछ नेताओं ने इसे मुद्दा बनाना शुरू किया है. इस मामले पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा बंगाल में नवगठित पार्टी इण्डियन सेक्यूलर फ्रंट के नेता ब्बास सिद्धीकी ने खुलकर साथ देने का आह्वान किया है.
कहा कि इस पर झारखंड और भारत सरकार आदिवासियों को बरगलाने का प्रयास कर रही है. यदि अभी भी सरकार इस पर कोई सकारात्मक पहल नहीं करती है तो आदिवासी इससे भी बड़े आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे. मौके पर अखिल भारतीय सरना धर्म मंडवा के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष रामकुमार मुर्मू, बोकारो जिला संयोजक चन्द्र मोहन मार्डी, गोपीनाथ मुर्मू और संतोष सोरेन समेत कई लोग थे.
इसे भी पढ़ें- शीतलहर से कंपकपाये झारखंड के लोग, अगले 4 दिनों तक नहीं मिलेगी राहत
दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों ने जामताड़ा के कासीटांड़ हॉल्ट के समीप दो घंटे तक प्रदर्शन किया. इसे आरपीएफ, जीआरपी व जिला पुलिस बल ने संयुक्त प्रयास से करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद हटाया. इस दौरान चक्का जाम के तहत जामताड़ा जिले के सभी 6 प्रखंडो के कार्यकर्ता शामिल रहे.
इस अवसर पर संथाल परगना के संरक्षक सिकंदर टुडू ने कहा कि सरना धर्म को अलग धार्मिक पहचान तथा मान्यता के लिए सरना धर्म कोड की मांग के समर्थन में आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू के द्वारा लगातार धरना और पथ जाम कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
आदिवासी सेंगेल अभियान अपनी पांच प्रमुख मुद्दों सरना धर्म कोड , झारखंडी डोमिसाइल, झारखंड में संथाली को प्रथम राजभाषा, असम तथा अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को एसटी का दर्जा तथा वीर शहीद सिदो मुर्मू एवं बिरसा मुंडा के वंशजों के लिए दो ट्रस्ट बनाने की मांग प्रमुख रूप से है. सराकर से मांग है कि इसे पूरा करे.
इसे भी पढ़ें-रिम्स फुटपाथ दुकानदारों ने नगर निगम से लगायी गुहार, दुकान लगाने की मांगी अनुमति